नहीं बदलेगा रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया 10 हजार का जुर्माना
MP High Court News: अदालत ने याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया और कहा कि जुर्माने की राशि 30 दिन के भीतर जमा की जाए. राशि का उपयोग कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने में होगा.
MP High Court News: भोपाल में हबीबगंज स्टेशन (Habibganj Railway Station) का नाम रानी कमलापति स्टेशन (Rani Kamalapati Station) करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा है कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए याचिका दायर की गई थी और इससे अदालत का समय जाया हुआ. लिहाजा अदालत ने याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपये का जुर्माना (Penalty) लगाने का भी आदेश दिया और कहा कि जुर्माने की राशि 30 दिन के भीतर जमा की जाए.
याचिका रद्द कर हाई कोर्ट ने लगाया 10 हजार का जुर्माना
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस शील नागू एवं जस्टिस सुनीता यादव की खंडपीठ ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी रेलवे स्टेशन यात्री सुविधाओं और ट्रेनों के सफल संचालन को लेकर जाना जाता है. वहां उपलब्ध जन सुविधाओं से उसके नाम का कोई सरोकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि रेलवे स्टेशन के नाम का जनहित से कोई लेनादेना नहीं. इस मत के साथ याचिकाकर्ता अहमद सईद कुरैशी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने फैसले में कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए याचिका दायर की है और ये अदालत के बहुमूल्य समय का दुरुपयोग है, जिसका उपयोग किसी अन्य जनहित के मुद्दे को सुलझाने में किया जा सकता था.
कोरोना की तीसरी लहर में किया जाएगा राशि का इस्तेमाल
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 30 दिन के भीतर हाईकोर्ट रजिस्ट्री में राशि जमा कराने का निर्देश दिया. इस राशि का उपयोग कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए आवश्यक वस्तुएं खरीदने में किया जाएगा. गौरतलब है कि सिवनी जिले के कुरई निवासी वकील अहमद सईद कुरैशी की ओर से याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया कि 1973 में एक मुस्लिम गुरु हबीब मियां ने स्टेशन के लिए रेलवे को जमीन दान दी थी. तब से इसे हबीबगंज स्टेशन के नाम से जाना जाने लगा, लेकिन 12 नवम्बर 2021 को केंद्र और राज्य सरकार की सहमति से रेलवे बोर्ड ने स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया. इस मामले में कोर्ट ने 17 जनवरी को सुनवाई पूरी होने पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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