Jabalpur Railway Station Name Change: मध्य प्रदेश के एक और रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की कवायद चल रही है. भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन की तर्ज पर डेढ़ सौ साल पुराने जबलपुर स्टेशन का नामकरण वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम पर करने की कागजी कार्यवाही शुरू हो गई है. अब आगे इसका प्रस्ताव राज्य सरकार द्वारा रेल मंत्रालय को भेजा जाएगा. इसके साथ ही, 300 करोड़ रुपये से जबलपुर स्टेशन का विकास एयरपोर्ट की तर्ज पर करने की तैयारी है.


यहां बताते चलें कि जबलपुर रेलवे का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. यह स्टेशन मुम्बई-कोलकाता रेल मार्ग का प्रमुख जंक्शन है. ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे और ईस्ट इंडियन रेलवे के बीच इंटरचेंज स्टेशन के रूप में बनाया गया था. जबलपुर स्टेशन को 1867 में यातायात के लिए खोला गया था, जो बंबई और कलकत्ता को रेल से जोड़ता था. ब्रिटिश टाइम में इसे जुबुलपुर (Jubbulpore) स्टेशन कहा जाता था.


स्टेशन के कायाकल्प पर भी चर्चा
जबलपुर के सांसद और लोकसभा के मुख्य सचेतक राकेश सिंह ने सोमवार को पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारियों के साथ एक बैठक कर जबलपुर स्टेशन का नाम बदलने की मांग रखी. उन्होंने कहा कि जबलपुर स्टेशन का नाम बदलकर रानी दुर्गावती के स्टेशन किया जाए. सर्किट हाउस में आयोजित इस बैठक में एयरपोर्ट की तर्ज पर जबलपुर स्टेशन का कायाकल्प किए जाने पर भी चर्चा हुई. बैठक में तय किया गया है कि जबलपुर रेलवे स्टेशन में भेड़ाघाट और धुआंधार वॉटरफॉल से जुड़ी प्रतिकृतियां लगाई जाएंगी.


बैठक में जबलपुर स्टेशन की इमारत को मल्टीलेवल बनाने और यात्रियों के लिए रूफ प्लाजा की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही दिव्यांग जनों के लिए स्टेशन पर अलग से आवागमन का रास्ता तैयार करने के मसले पर रेल अधिकारियों और सांसद के बीच लंबी चर्चा हुई.


कोरोना काल में बंद गाड़ियों को दोबारा जल्द शुरू किया जाएगा
बैठक के बाद सांसद राकेश सिंह ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा है कि कोरोना काल में बंद गाड़ियों को दोबारा जल्द शुरू कराया जाएगा. उन्होंने दावा किया है कि उनकी कोशिश होगी कि भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन से बेहतर सुविधाएं जबलपुर स्टेशन में उपलब्ध कराई जाएं. सांसद सिंह ने यह भी कहा कि जबलपुर में प्रदेश में सबसे ज्यादा विकास के कार्य हो रहे हैं.


गौरतलब है कि पूर्व में भोपाल के हबीबगंज स्टेशन को रानी कमलापति और होशंगाबाद स्टेशन का नाम नर्मदापुरम कर दिया गया है. वहीं राज्य के कई अन्य स्टेशनों के नाम भी आदिवासी महापुरुषों के नाम पर रखने की बात चल रही है.इसे आदिवासी वोट बैंक साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.


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