Jabalpur: यूनिवर्सिटी कर्मचारियों ने 50 लाख एडवांस लेकर उड़ा दिए, लौटाने में आनाकानी पर सख्त कार्रवाई की तैयारी
MP News: मध्य प्रदेश की रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी के स्टाफ ने कई साल पहले अलग-अलग काम का हवाला देकर एडवांस राशि ली लेकिन पैसे लेने के बाद उन्हें लौटाने की कभी याद नहीं आई.
Jabalpur News: मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (Rani Durgavati University) के अधिकारियों और कर्मचारियों ने 50 लाख रुपये एडवांस लेकर उड़ा डाला और जब उसे लौटाने की बारी आई तो आनाकानी करने लगे. ये मामला 8 साल पुराना है और विश्वविद्यालय के महालेखाकार (Accountant General) द्वारा आपत्ति जताने के बाद अब रकम वसूली की याद आई है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव दीपेश मिश्रा का कहना है कि एडवांस लेने वाले जिन कर्मचारियों-अधिकारियों ने अपना समायोजन नहीं कराया है,उनके वेतन और पेंशन से राशि काटी जाएगी,
बताया जाता है कि कर्मचारियों और अधिकारियों ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाया है. विभिन्न मदों से एडवांस के रूप में अधिकारियों-कर्मचारियों ने लाखों रुपए विश्वविद्यालय से ले लिए लेकिन सालों से वापस नहीं लौटाए. अब इस रकम की वसूली के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया है. कई कर्मचारियों ने विभिन्न कार्यक्रमों के नाम पर 8 साल पहले एडवांस राशि ले रखी थी,लेकिन उसके बाद किसी ने भी विश्वविद्यालय को एडवांस राशि वापस लौटाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. यह मामला सालों तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा. इसे लेकर ग्वालियर के महालेखाकार के द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई थी.
अब अधिकारियों-कर्मचारियों को भेजी गया है वसूली का नोटिस
यह मामला विधानसभा की लोक लेखा समिति के पास जाने वाला था, लेकिन उसके पहले ही विश्वविद्यालय सचेत हो गया.हाल ही में हुई यूनिवर्सिटी प्रशासन की बैठक में कर्मचारियों द्वारा ली गई एडवांस राशि के मुद्दा पर चर्चा हुई. इस बैठक में महालेखाकार द्वारा दर्ज कराई गई आपत्ति के हिसाब से लिस्ट चेक की गई .इस सूची में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के करीब 70 अधिकारी-कर्मचारियों के नाम शामिल हैं.अब रानी दुर्गावती विश्विद्यालय प्रशासन ने बिना देर किए ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ बैठक की. एडवांस लेने वाले सभी कर्मचारियों को नोटिस देकर पैसा जमा करने कहा गया है.
रानी दुर्गावती विश्विद्यालय के कुलसचिव दीपेश मिश्रा की माने तो यह मामला करीब 8 साल पुराना है.करीब 50 लाख रुपए की राशि कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय से एडवांस लेने के बाद भी अब तक वापस नहीं की है. इसकी वसूली के लिए ऐसे कर्मचारियों को नोटिस दिए गए हैं.
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