MP High Court News: मध्यप्रदेश में स्नातकोत्तर (एमएस) की मेडिकल सीट छोड़ने के इच्छुक एक स्टूडेंट को 30 लाख रुपए चुकाने के आदेश हुए. मेडिकल स्टुडेंट ने सरकार के इस फरमान को हाईकोर्ट (High Court) में दी चुनौती दी. कोर्ट से  मेडिकल कॉलेज जबलपुर सहित अन्य पक्षों को नोटिस को नोटिस जारी किया गया है. एमपी में नियमानुसार यदि किसी स्टूडेंट को मेडिकल की स्नातकोत्तर सीट में प्रवेश लेने के बाद उसे छोड़ना है तो उसके लिए 30 लाख रुपए सरकार को देने होंगे. 'सीट लीविंग बॉण्ड' के तहत यह रकम तय की गई है.


'सीट लीविंग बॉण्ड' को चुनौती दी गई


एक डॉक्टर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 'सीट लीविंग बॉण्ड' को चुनौती दी. मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस डीके पालीवाल की बेंच ने मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव, डीएमई और नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर के डीन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.


याचिकाकर्ता ने कॉलेज से सभी शैक्षणिक दस्तावेज वापस मांगे थे


याचिकाकर्ता डॉ. पंकज मिश्रा के मुताबिक उन्होंने प्री-पीजी एग्जाम उत्तीर्ण करने के बाद जबलपुर मेडिकल कॉलेज में एमएस ऑर्थोपेडिक कोर्स में वर्ष 2020 में प्रवेश लिया था. डॉ. मिश्रा ने कॉलेज प्रबंधन को बताया कि वे सीट छोड़ना चाहते हैं इसलिए उनके सभी शैक्षणिक दस्तावेज वापस कर दिए जाएं. कालेज प्रबंधन ने 7 जून 2021 को याचिकाकर्ता को पत्र लिखकर कहा कि वे सात दिन के भीतर रिपोर्ट करें नहीं तो उनका प्रवेश स्वमेव निरस्त हो जाएगा और उन्हें 30 लाख रुपए जमा करने होंगे.


याचिकाकर्ता के वकील ने ये कहा


याचिकाकर्ता की ओर से वकील आदित्य संघी ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड के चलते वह क्लास अटेंड नहीं कर पाया. उन्होंने कोर्ट से प्रार्थना की कि कोविड की विशेष परिस्थिति को देखते हुए 'सीट लीविंग बॉण्ड' से याचिकाकर्ता को छूट दी जाए और सभी शैक्षणिक दस्तावेज वापस कराए जाएं.


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