चर्चा में Jabalpur की नर्मदा किनारे वाली 'घाट की पाठशाला', जानिए 200 गरीब बच्चों को बिना फीस पढ़ाने वाले शख्स की कहानी
MP News: मध्य प्रदेश के जबलपुर में नर्मदा किनारे एक शिक्षक पराग दीवान गरीब बच्चों को रोज पढ़ाते हैं. इनकी तारीफ कलेक्टर ने भी की है. इनकी पाठशाला में 200 गरीब बच्चे पढ़ते हैं.
Jabalpur Free Classes For Poor Children: जबलपुर (Jabalpur) में एक शिक्षक बीते 7 सालों से पीड़ित मानवता की सेवा करते हुए नौनिहालों को निशुल्क शिक्षा बांट रहे हैं. संस्कारधानी के नर्मदा तट ग्वारीघाट में बेसहारा और मजबूर बच्चों को यह शिक्षक रोजाना “घाट की पाठशाला” लगाकर निःशुल्क शिक्षा देते हैं. आज हम आपको "घाट की पाठशाला" के गुरुजी की अनोखी कहानी बताने जा रहे है.
हर रोज घड़ी में शाम 7:30 बजते ही मां नर्मदा के तट ग्वारीघाट में आस-पास के गरीब बच्चे इस पाठशाला का हिस्सा बन जाते हैं. इन बच्चों में इतना हुनर है कि घाट वाले गुरुजी से मिले ज्ञान के कारण ये बच्चे गणित से लेकर सामान्य ज्ञान और विज्ञान की कई बारीकियों को इस कच्ची उम्र में ही जानने लगे हैं. हालांकि ये होनहार बच्चे मजबूरी वश किसी महंगे स्कूलों में दाखिला तो नहीं ले पाए लेकिन "घाट की पाठशाला" का हिस्सा बनकर अब यह किसी से कम नहीं है. अब इनका एडमिशन सरकारी स्कूलों में करा दिया गया है.
पढ़ाने के अलावा बच्चों की अन्य समस्याओं को भी करते हैं दूर
घाट वाले गुरु जी और उनके बच्चों की कहानी कुछ इस तरह है. दरअसल इस पाठशाला में आने वाले बच्चे या तो नाव चलाते है या नर्मदा किनारे दीपक, फूल, माला बना कर बेचते हैं. इनमें से किसी के पिता मजदूर हैं, तो कोई अनाथ है. लेकिन "घाट की पाठशाला" के गुरु पराग सर यानी पराग दीवान की पाठशाला में सभी को बराबरी के साथ ज्ञान और शिक्षा दी जाती है. पहले इस पाठशाला में भले ही दो या चार बच्चे होते हो थे लेकिन आज यहां इनकी संख्या 200 के आस-पास है. पराग दीवान न केवल निःशुल्क पढ़ाते हैं बल्कि उनकी रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी दूसरी बाधाओं को भी दूर करते हैं.
"घाट की पाठशाला" में आने वाले 12 साल के मनीष केवट का कहना है कि पराग सर ने उनका जीवन बदल दिया है. पढ़-लिखकर वो भी अच्छा भविष्य बनाने की लालसा रखता है. यहां आने वाले बच्चे बताते हैं कि कैसे पराग सर ने इनके अंदर शिक्षा की अलख को ना केवल जगाया बल्कि उसे बरकरार भी रखा है. भले ही ये बच्चे रोजाना किसी भी काम में लगे हो लेकिन शाम 7:30 बजते ही सभी एक साथ मां नर्मदा के घाट में जुट जाते हैं. किसी को गणित में रुचि है, तो किसी को विज्ञान. कोई फिजिक्स के सवालों का जवाब फर्राटे से देने लगा है.
रोजाना मां नर्मदा के दर्शन करने आने वाले भक्त भी इस पाठशाला को देखकर कुछ देर वही ठिठक कर खड़े हो जाते हैं. यहां शिक्षा पाने वाले बच्चे आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है लेकिन सभी निश्चित तौर पर यहां आकर न केवल पढ़ते हैं बल्कि अपने सपनों को पूरा करने की नीव को भी मजबूत कर रहे हैं.
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2016 में शुरू की थी यह पाठशाला
इस पाठशाला को 2016 में शुरू करने वाले पराग दीवान कहते हैं कि मां के देहांत के बाद से उन्होंने अपनी मां की इच्छा को पूरा करने के लिए इन बेसहारों बच्चों का जीवन संवारने की मुहिम छेड़ी. वह इन मासूम बच्चों को एंजेल्स कह कर पुकारते हैं और भविष्य में एक ऐसा स्कूल खड़ा करना चाहते हैं जिसमें शिक्षक भी यह बच्चे होंगे, जो बड़े होकर अपने से छोटे उम्र के बच्चों को पढ़ाएंगे और उन्हें भरोसा है कि इनमें से कोई ना कोई छात्र आईएएस और आईपीएस जरूर बनेगा.
कलेक्टर ने की जमकर तारीफ
शिक्षक पराग दीवान के सामाजिक कार्य की चर्चा जिला प्रशासन तक है. जबलपुर जिले के नवागत कलेक्टर इलैया राजा टी अचानक ग्वारीघाट पहुंचे और शिक्षक पराग दीवान की क्लास को देखा तो वह भी आश्चर्य में पड़ गए. पराग दीवान के कार्य की कलेक्टर ने भी जमकर सराहना की. कलेक्टर इलैयाराजा टी का कहना है कि समाज के लिए ऐसे कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करेंगे और बच्चों के लिए हर तरह की मदद पहुंचाने की कोशिश करेंगे.
हम भी जब उस "घाट की पाठशाला" में पहुंचे तो वाकई यहां का नजारा अभिभूत करने वाला था. कहने को मां नर्मदा का तट आस्था भक्ति से सराबोर रहता है, लेकिन यहां पराग दीवान का छोटा सा शिक्षा का मंदिर भी अलग रोशनी बिखेर रहा है. एक ओर मां नर्मदा की कल कल बहती धारा है तो दूसरी ओर ज्ञान की बहती धारा, ये शिक्षा और भक्ति का अद्भुत संगम है.