Urea Scam: यूरिया घोटाले में जबलपुर पुलिस ने पेश की चार्जशीट, बाप-बेटे की फर्म और 'कृभको' के अफसर की मिलीभगत
जबलपुर पुलिस ने 890 टन यूरिया के गोलमाल मामले में 60 पन्नों की चार्जशीट पेश की है. चार्जशीट में कृभको डीलर, ट्रांसपोर्टर, डीपीएमके और सब डीलर्स की लंबी चेन से जुड़े 2 दर्जन लोगों के बयान दर्ज हैं.
Urea Scam in MP: मध्यप्रदेश के बहुचर्चित सरकारी यूरिया घोटाले में जबलपुर पुलिस (Jabalpur Police) ने चालान पेश कर दिया है. लॉर्डगंज पुलिस ने 890 टन यूरिया के गोलमाल मामले में 60 पन्नों की चार्जशीट अदालत में पेश की. अगस्त और सितंबर महीने में सरकारी यूरिया घोटाला सामने आया था. जबलपुर और आसपास के जिलों में गड़बड़ी प्रदेश की सुर्खियां बनी थीं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फटकार के 24 घंटे में यूरिया घोटाले का खुलासा हो गया. कृभको के डीलर और ट्रांसपोर्टर ने अधिकारियों की लापरवाही का फायदा उठाकर सरकारी कोटे का यूरिया ओपन मार्केट में बेच दिया था.
बहुचर्चित यूरिया घोटाले में पुलिस ने पेश किया चालान
जबलपुर की लॉर्डगंज पुलिस ने सीजेएम आलोक सिंह की अदालत में चालान पेश किया है. कृभको डीलर, ट्रांसपोर्टर, डीपीएमके और सब डीलर्स की लंबी चेन से जुड़े 2 दर्जन लोगों के बयान और तहकीकात के बाद पुलिस ने चार्जशीट पेश की. पुलिस ने कृभको, श्याम फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के डीलर और ट्रांसपोर्टर, डीपीएमके की तरफ से अमानत में खयानत के दस्तावेज भी पेश किए हैं. फर्टिलाइजर कंपनी के मार्केटिंग डायरेक्टर और स्टेट मैनेजर की मिलीभगत भी प्रमाणित हुई है. बता दें कि 890 टन सरकारी यूरिया गायब होने के मामले में कृभको के स्टेट मैनेजर जयप्रकाश को हाईकोर्ट से पहले जमानत मिल चुकी है. डीपीएमके के स्थानीय मैनेजर संजय गुप्ता, सहायक कर्मचारी नवीन झा और कृभको के फील्ड ऑफिसर शुभम बिरला फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
पिता-पुत्र की फर्म और कृभको के अफसर में सांठगांठ
गौरतलब है कि जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों में हुए यूरिया घोटाले ने खलबली मचा दी थी. पता चला है कि कृभको श्याम के डीलर डीपीएमके और परिवहन का काम करने वाली डीजी ट्रांसपोर्ट का आसपास में गहरा नाता है. डीपीएमके के प्रोपराइटर द्वारिका गुप्ता और बेटा दिव्यदीप डायरेक्टर हैं. यहीं दिव्यदीप डीजी ट्रांसपोर्ट के प्रोपराइटर और पिता द्वारिका गुप्ता डायरेक्टर हैं. पिता-पुत्र दोनों फर्मो में नियंत्रण का फायदा उठाकर हर साल कृभको श्याम की तरफ से सप्लाई किए जाने वाले सरकारी कोटे के यूरिया में गोलमाल और गड़बड़ी करते आ रहे थे. वहीं मार्कफेड और कृषि महकमे के जबलपुर से लेकर भोपाल तक बैठे अफसर आंखें मूंदे रहे. कहा जा रहा है कि शासन-प्रशासन के उच्च पदों पर पदस्थ संरक्षक घोटाला के बावजूद आरोपियों को बचाते रहे.