Jabalpur News: ड्रोन अब रेलवे के भी बड़े काम आ रहा है. ड्रोन कैमरे के माध्यम से न केवल रेलवे ब्रिज और ट्रैक की निगरानी हो रही है बल्कि निर्माणाधीन प्रोजेक्ट पर भी इससे नजर रखी जा रही है. रेलवे का मानना है कि रेल आपदा के समय दुर्घटना स्थल की त्वरित पहचान भी ड्रोन की मदद से की जा सकती है. पश्चिम मध्य रेल ने अपने तीनों मंडलों जबलपुर, भोपाल और कोटा में एक-एक हाई रेजोल्यूशन कैमरे वाले ड्रोन तैनात किए हैं.


ड्रोन से रखी जा रही नजर
जबलपुर के पश्चिम मध्य रेल की नवीन तकनीक के उपयोग में अग्रणी रहने की भूमिका हमेशा सराही गई है. पश्चिम मध्य रेल द्वारा अपने तीन मंडलों जबलपुर, भोपाल और कोटा में रेलवे ब्रिज और ट्रैक के निरीक्षण के लिए ड्रोन कैमरे का उपयोग किया जा रहा है. पश्चिम मध्य रेल के जबलपुर, भोपाल एवं कोटा के इंजीनियरिंग विभाग द्वारा रेलवे ब्रिज और ट्रैक पर ड्रोन कैमरा की मदद से बारीकी से नजर रखी जा रही है.


इन चीजों की भी निगरानी
इस ड्रोन कैमरे से तीनों मण्डलों में आने वाले छोटे-बडे सभी रेलवे ब्रिजों की देखरेख, नई रेल लाइन, दूसरी-तीसरी रेल लाइन निर्माण के काम की प्रगति भी विशेषज्ञ इंजीनियर द्वारा समय-समय पर देखी जाती है. इसके साथ ही रेल दुर्घटनाओं के दौरान वहां की भौगोलिक परिस्थितियों की सही जानकारी का पता भी ड्रोन कैमरे से लगाया जा सकता है.


1300 से अधिक फीट की ऊंचाई की तस्वीर ले सकता है
पश्चिम मध्य रेल के CPRO राहुल जयपुरियार के मुताबिक सही मायने में कोविड-19 के दौरान ड्रोन कैमरा बहुत मददगार साबित हुआ. कोविड-19 के दौरान पश्चिम मध्य रेल से गुजरने वाली और पहुंचने वाली ऑक्सीजन एक्सप्रेस की वीडियोग्राफी करके निरीक्षण किया गया. पश्चिम मध्य रेल द्वारा ड्रोन का उपयोग वर्ष 2017 से किया जा रहा है. उस वक्त ड्रोन कैमरा से 400-500 फीट ऊंचाई से दो किमी के दायरे की तस्वीरे ली जाती थीं. बैटरी से चलित यह ड्रोन कैमरा 20 से 25 मिनट की समयावधि तक उड़ सकता था. लेकिन अब इस ड्रोन को अपग्रेड किया गया है. यह 1300 से अधिक फीट की ऊंचाई और चार किमी दायरे की तस्वीर ले सकता है. अपडेट ड्रोन कैमरा अब करीब 30 से 40 मिनट तक उड़ सकता है. ड्रोन कैमरे के माध्यम से रेलवे अब अपने कामों में  जीरो एरर की तरफ बढ़ रहा है.


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