Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर मंगलवार को जागृत शक्ति मंच के बैनर तले महिलाओं ने जबलपुर कलेक्टर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) के नाम का ज्ञापन सौंपा. इसके पहले घंटाघर पर जागृत शक्ति मंच के नेतृत्व में सभी महिलाएं एकत्रित हुईं और ज्ञापन लेकर कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च किया.


मीडिया से चर्चा में महिलाओं ने कहा कि विवाह रूपी संस्था सामाजिक व्यवस्था का अभिन्न अंग है. परिवार और कुटुंब का आधार सोलह संस्कारों में से एक विवाह है. भारत में वर-वधु एक-दूसरे का वरण कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करते हैं. शताब्दियों से केवल जैविक पुरुष और जैविक महिला के मध्य सम्पन्न हुए विवाह को ही मान्यता दी गई है. जागृत शक्ति मंच का कहना है कि विवाह विधि मात्र जैविक पुरुष और महिला पर लागू होती है. भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नालसा (2014) और नवतेज जौहर (2018) के मामलों में समलैंगिकों एवं विपरीत लिंगी (Transgender) के अधिकारों को पहले ही संरक्षित किया जा चुका है.


'मातृ शक्ति के विचारों पर समग्रता से विचार किया जाए'
राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया है कि ऐसे में स्पष्ट है कि यह समुदाय, उत्पीड़ित या असमानता का दंश नहीं झेल रहा है. विधायिका ने पहले ही उपरोक्त निर्णयों के आधार पर कार्यवाही कर ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 को अधिनियमित किया है. इसलिये भेदभाव का प्रश्न ही नहीं उठता है. ज्ञापन में आगे कहा गया कि भारत का संविधान विधायिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन स्थापित करता है. इसलिए विवाह को नये तरीके से परिभाषित करना या उसे नये स्वरूप में लिखना विधायिका से कानून बनाने की शक्ति ले लेना माना जाएगा.


अतः यह निर्णय संसद को लेने दिया जाए एवं सभी पहलुओं पर मातृ शक्ति के विचारों पर समग्रता से विचार किया जाए. इस अवसर पर विजयश्री मिश्रा, सी पी वैश्य, सुशीला पालीवाल, हरनीत कौर, नीलिमा, प्रियंका मिश्रा आदि सैकड़ों की संख्या में समाज के प्रबुद्ध वर्ग की नारी शक्ति उपस्थित थीं.


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