Jagannath Mandir Doors Closed: जगत के नाथ भगवान जगन्नाथ स्वामी, बड़े भाई बलभद्र और बहिन देवी सुभद्रा ज्वर से पीड़ित होने की वजह से 15 दिनो तक भक्तों को दर्शन नहीं देंगे.जबलपुर में साहू धर्मशाला गढ़ाफाटक स्थित भगवान जगन्नाथ स्वामी मंदिर के कपाट शनिवार (22 जून) को बंद कर दिए गए.
7 जुलाई को भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा बड़े धूमधाम से निकाली जाएगी.गए.इसके बाद भगवान सिंहवाहनी मंदिर में 12 दिनों तक अपनी मौसी के घर में रहेंगे.
विराट रथ यात्रा से पहसे विश्राम करते हैं भगवान
मंदिर प्रबंधन से जुड़े श्रीकांत साहू ने बताया वात्री साहू समाज जबलपुर द्वारा संचालित श्री जगदीश स्वामी मंदिर ट्रस्ट के तत्वाधान में 134 वर्षों से लगातार जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा बड़े धूमधाम से निकाली जाती है. मान्यता है कि रथयात्रा के 15 दिवस पूर्व प्रभु जगन्नाथ स्वामी ज्वर से पीड़ित हो जाते हैं. इसीलिए भगवान को विश्राम देने के उद्देश्य से मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं.
वर्षों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन करते हुए साहू समाज के सदस्यों ने साहू धर्मशाला गढ़ाफाटक स्थित अस्थाई मंदिर में विराजित भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ प्रतिमा को सुगंधित इत्र एवं स्वर्ण मिश्रित गंगा, नर्मदा और यमुना के जल से स्नान करा कर उन्हे गर्म शॉल से ढक दिया गया.
15 दिन तक काढ़े का लगेगा भोग
श्रीकांत साहू ने बताया 15 दिन की विश्राम अवस्था में भगवान को सिर्फ आयुर्वेदिक काढ़े का भोग ही लगाया जाता है. इस दौरान उनका पूजन अर्चन नहीं होता. एक पखवाड़े की विश्राम अवस्था के बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र जी एवं देवी सुभद्रा के कपाट खोले जाएंगे. इसके पश्चात भगवान की काष्ठ प्रतिमा को नीम मिश्रित जल से स्नान कराया जाएगा.
फिर नीम का तेल लगाया जाएगा और नवीन वस्त्र पहनाकर शृंगार कर पूजन-अर्चन के पश्चात रथ पर विराजित किया जायेगा. इसके बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा अपने भक्तो को दर्शन देने रथयात्रा में निकलेंगे.
12 दिन तक मौसी के घर रहेंगे जगन्नाथ
यह रथयात्रा 7 जुलाई रविवार को दोपहर 2 बजे साहू धर्मशाला गढ़ाफाटक स्थित अस्थाई मंदिर से प्रारंभ होगी, जो चरहाई, बड़े महावीर मंदिर, बड़ा फुहारा, सराफा , कोतवाली, मिलोनीगंज और हनुमानताल होते हुए बड़ी खेरमाई मंदिर पहुंचेगी. यहां स्थित सिंहवाहनी मंदिर में भगवान 12 दिनों तक अपनी मौसी के घर में रहेंगे. इसके बाद भगवान की वापसी रथयात्रा निकाली जाएगी और भगवान अपने मंदिर में विराजित होंगे.
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