Mahakal Janmashtami: माना जाता है कि सभी धार्मिक पर्वों की शुरूआत भगवान महाकाल के आंगन से होती है. आज कृष्ण जन्माष्टमी की शुरुआत भी उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से हुई है. इस दौरान भगवान महाकाल का श्री कृष्ण के रूप में श्रृंगार किया गया. महाकालेश्वर मंदिर में जन्माष्टमी पर विशेष परंपराओं का निर्वहन किया जाता है. इस दौरान भगवान महाकाल की श्री कृष्ण के रूप में आराधना की जाती है. बता दें कि
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक भगवान महाकालेश्वर के दरबार में सभी धार्मिक पर्वों को धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
इस बारे में पंडित राम गुरु ने बताया कि आज जन्माष्टमी की अवसर पर भगवान महाकाल का श्री कृष्ण के रूप में श्रृंगार किया गया. भगवान महाकाल की सूखे मेवे और भांग से श्री कृष्ण के रूप में आराधना की जा रही है. उन्होंने बताया कि आज दिन भर यह सिलसिला जारी रहेगा. पंडित रमन त्रिवेदी ने बताया कि भगवान महाकाल और भगवान श्री कृष्ण का गहरा नाता है. भगवान श्री कृष्णा उज्जैन में रहकर शिक्षा ग्रहण की थी. इसके अलावा जब भगवान महाकाल की सवारी निकलती है, तब भगवान महाकाल श्री कृष्ण से मिलने के लिए भी जाते हैं.
उज्जैन में होता है हरि और हर का मिलन
धार्मिक नगरी उज्जैन में हरी और हर के मिलन की पुरानी परंपरा है. भगवान महाकाल की जब सवारी निकलती है तो द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पर सवारी को रोका जाता है. भगवान श्री कृष्णा और भगवान महाकाल की एक साथ आराधना होती है. वर्ष भर में एक बार देवउठनी ग्यारस पर महाकालेश्वर मंदिर से निकलने वाली सवारी सीधे गोपाल मंदिर पहुंचती है. यहां पर भगवान महाकाल को तुलसी की माला पहनाई जाती है. जबकि भगवान श्री कृष्ण को बेलपत्र की माला पहनकर पूजा अर्चना भी होती है.
उज्जैन में सीखी थी भगवान श्री कृष्णा ने 64 कलाएं
धार्मिक नगरी उज्जैन में गुरु सांदीपनि से भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी. उज्जैन में 64 दिनों तक भगवान रुके थे और यहां पर 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था, इसलिए धार्मिक नगरी उज्जैन का कृष्ण जन्माष्टमी के दृष्टिकोण से भी काफी महत्व माना गया है.
ये भी पढ़ें:
MP Election 2023: एमपी विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरेंगी उमा भारती? खुद किया बड़ा दावा