MP ELECTION 2023: टिकट वितरण के मामले में भले ही भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस से पहले बाजी मार ली हो, लेकिन जिस तरीके से टिकट वितरण किया गया है उसे देखते हुए लगता नही है कि 2023 का किला फतह करना बीजेपी के लिए उतना आसान है जितना पार्टी समझ रही है. जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है पार्टी में विद्रोह के बिगुल बज रहे हैं.


ताजा मामला झाबुआ का है. यहां भानू भूरिया को पार्टी ने विधानसभा चुनाव का टिकट दिया है लेकिन पार्टी कार्यकर्ता उन्हें इस बार जिताने के मूड में नजर नही आते. यहां से कार्यकर्ताओं ने टिकट बदलने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई है. कार्यकर्ताओं ने इस बात का संकेत भी एक रैली के जरिए दिया.


राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले भारतीय जनता पार्टी के देश में दूसरे नंबर के नेता और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश के चुनावों की कमान अपने हाथ ले ली है. अमित शाह भी समझ गए हैं कि बिना उनकी दखलअंदाजी के मध्यप्रदेश में इस बार चुनावी नैया पार लगाना मुश्किल है. इसीलिए बार बार बीते बीस सालों की बात भाजपा कर रही है.


भोपाल में अमित शाह ने पार्टी का बीस साल का रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया. अमित शाह इसके पहले इंदौर भी आए थे और संभाग की लिस्ट लेकर गए थे. यानि कुल मिलाकर उम्मीदवारी का फैसला भी दिल्ली दरबार ही तय कर रहे हैं. इस सब के बीच सवाल ये उठने लगा है कि जो फैसले दिल्ली दरबार ले रहा है क्या वे सही हैं? क्योंकि मध्यप्रदेश में कई जिलों में अब विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं.


झाबुआ में क्या हुआ?
मध्यप्रदेश के झाबुआ में आज जो हुआ उसने भोपाल से लेकर दिल्ली तक नेताओं की नींद में खलल जरूर डाला होगा. दरअसल यहां स्थानीय भाजपा नेता भानू भूरिया को भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा के लिए टिकट दिया हैं.


पार्टी ने जो फैसला लिया सोच समझ कर लिया लेकिन ये फैसला यहां के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को रास नही आया. कार्यकर्ताओं ने इस फैसले के खिलाफ अपना परचम बुलंद किया और एक बाइक रैली निकाली. कहने को पर्दे के सामने कोई नेता नही आया लेकिन पर्दे के पीछे से कई नेताओं की हामी इस रैली के पीछे नजर आ रही हैं.


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