Jitu Patwari MP PCC Chief: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता और विपक्ष दोनों के चेहरे बदल गए हैं. बीजेपी ने 18 साल के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हटा कर डॉ. मोहन यादव को नया सीएम बनाया तो वहीं कांग्रेस ने कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा कर जीतू पटवारी को नया पीसीसी चीफ बनाया है. इसी के साथ कांग्रेस पुराने नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की छाया से बाहर निकलती हुई दिख रही है. इसी के साथ मंगलवार 19 दिसंबर को जीतू पटवारी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर पदभार ग्रहण करेंगे.
जीतू पटवारी कैसे बन गए एमपी कांग्रेस अध्यक्ष?
यह तो तय था कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के बाद आलाकमान कमलनाथ को सजा दे सकता है. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना था कि या तो कमलनाथ खुद इस्तीफा देंगे या पार्टी उन्हें पीसीसी चीफ के पद से हटा देगी. कमलनाथ यह बात स्पष्ट तौर पर बता चुके थे कि वह रिटायरमेंट लेने के मूड में नहीं हैं. चुनाव के दौरान भी सीट बंटवारे और प्रचार में उनका अहम रोल था. ऐसे में पार्टी नेतृत्व के लिए ये आसान न होता कि कमलनाथ को दरकिनार कर दिया जाए.
इस बात के भी कयास लगाए जा रहे थे कि कमलनाथ अगर अपना पद छोड़ते भी हैं तो अगला अध्यक्ष उनकी ही पसंद का आएगा. वहीं, पार्टी ने भी उनसे नए अध्यक्ष के लिए नाम मांगे थे, लेकिन अंत में ऐसा कुछ नहीं हुआ. कांग्रेस ने कमलनाथ का सुझाव लिए बिना ही जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नियुक्त कर दिया. जीतू पटवारी ने भी सोशल मीडिया पर जब इसक लिए आभार व्यक्त किया तो राहुल गांधी औऱ मल्लिकार्जुन खरगे को संबोधित किया. कमलनाथ का नाम भी नहीं लिया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस कमलनाथ की पावर कम करने की कोशिशि में है? और सबसे बड़ा सवाल तो यह कि अपनी राऊ सीट न बचा पाने के बाद भी जीतू पटवारी को अध्यक्ष कैसे बना दिया गया?
जीतू पटवारी क्यों बने कांग्रेस की पहली पसंद?
राऊ सीट हारने के बाद भी मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए जीतू पटवारी पार्टी की पसंद बन गए. माना जाता है कि जीतू पटवारी राहुल गांधी के करीबी नेताओं में से एक हैं. हालांकि, यह नहीं कहा जा सकता कि केवल इसी वजह से उन्हें प्रदेश कांग्रेस का चीफ बनाया गया हो. इससे पहले जीतू पटवारी गुजरात कांग्रेस के प्रभारी भी बनाए गए थे.
गुटनिरपेक्ष नेता माने जाते हैं जीतू पटवारी
मालवा निमाड़ रीजन में कुल 66 विधानसभा सीटें हैं और सीएम मोहन यादव इसी क्षेत्र से आते हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि मोहन यादव के सामने कांग्रेस एक चेहरा खड़ा करना चाहती है. वहीं, राजनीतक विशेषज्ञों का कहना है कि जीतू पटवारी कांग्रेस के दो गुटों में से किसी में शामिल नहीं हैं. उनकी गुटनिरपेक्षता ने आलाकमान का ध्यान उनकी तरफ खींचा, जीतू संगठन के व्यक्ति हैं और युवाओं में भी लोकप्रिय हैं.