MP News: छतरपुर में सिटी कोतवाली पर बुधवार को हुए पथराव मामले पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने पुलिस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि एंटलीजेंस विभाग क्या कर रहा था. मध्य प्रदेश में सर्विस बुक का पालन करना पुलिस-प्रशासन भूल गया है.


जीतू पटवारी ने आगे कहा, "अपराधी को पकड़ा जाना चाहिए, कानून के हिसाब से वो सजा दी जानी चाहिए जो संवैधानिक हो. कांग्रेस ने पहले कभी इसका विरोध नहीं किया लेकिन शांति की बात बताकर दहशत फैलाना, सरकार की अच्छी परंपरा नहीं है."


‘कार्रवाई हो पर संविधान के नियमों का उल्लंघन न हो’
बता दें कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, विधायक आरिफ मसूद, मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक पुलिस पहुंचे डीजीपी को ज्ञापन देने पहुंचे थे. इस दौरान मीडिया से बातचीत से करते हुए जीतू पटवारी ने कहा कि छतरपुर की घटना में जो अपराधी है उन पर कार्रवाई हो पर न्यायालय व संविधान के नियमों का भी तो उल्लंघन न हो.


क्या कारण है कि उज्जैन में जैसवाल का घर गिरा दिया, मुरैना में राठौर परिवार का घर गिरा दिया गय़ा, क्या कारण है कि मध्यप्रदेश में सैकड़ों घर गिराए जा रहे हैं. कानून को अपना काम करना चाहिए पर न्याय पालिका संविधान की भी तो पालना करनी चाहिए.


‘बीजेपी के एजेंडे पर काम कर रहे कर्मचारी-अधिकारी’
जीतू पटवारी ने आगे कहा कि कर्मचारी-अधिकारी मध्यप्रदेश में दहशत बनाकर बीजेपी के एजेंडे पर काम करना चाहते हैं, वह अपनी आदत सुधारे तो ठीक अन्यथा कांग्रेस मानवअधिकार में जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में जाएंगी और याचिका लगाएंगे कि सर्विस बुक की भी पालना होनी चाहिए. दहशत बनाकर अच्छी सरकार या अच्छा प्रशासन नहीं चल सकता. ये तो पुलिस की फेलियर है, जब घटना होनी थी, तब आपका एंटलीजेंस क्या कर रहा था, क्या कारण है जो आपको पता नहीं चला.


‘उज्जैन में तो कई केस फर्जी तरीके से बन रहे हैं’
वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंघ सिंघार ने कहा कि प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी लगातार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को दबाने का प्रयास कर रही है. उज्जैन में तो कई केस फर्जी तरीके से बन रहे हैं. उज्जैन के मुख्यमंत्री हैं और उज्जैन में ही फर्जी केस बनवाए जा रहे हैं,  मुख्यमंत्री चुप क्यों है, क्या पुलिस प्रशासन वहां नपुंसक हो गया है. भारतीय जनता पार्टी ध्यान रखें कि हमें ढाई करोड़ से ज्यादा वोट मध्यप्रदेश के अंदर मिले हैं.


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