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मैहर के माता मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों की नौकरी खतरे में, आखिर नियुक्ति को लेकर क्या कहता है संविधान?

धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने सतना जिले के प्रसिद्ध मैहर माता मंदिर में काम कर रहे सभी मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का आदेश दिया है.

मध्य प्रदेश में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. एक तरफ जहां सभी पार्टियों ने एक दूसरे को कड़ी टक्कर देने के लिए चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. वहीं दूसरी तरफ एमपी के धर्मस्व विभाग के एक आदेश ने पूरे राज्य में विवाद खड़ा कर दिया है. 

दरअसल धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने सतना जिले के प्रसिद्ध मैहर माता मंदिर में काम कर रहे सभी मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का आदेश दिया है. इसी विभाग ने शहर में मांस और मदिरा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने को लेकर सतना कलेक्टर को पत्र भी भेजा है.

अगर शहर में ये आदेश पारित हो जाता है तो मां शारदा मंदिर में साल 1988 से काम कर रहे दो मुस्लिम कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है. 

जिला कलेक्टर को भेजा पत्र

एमपी की धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग की उप सचिव पुष्पा कुलेश ने कल यानी 18 अप्रैल को जिला के कलेक्टर को पत्र भेजा है. पत्र में कहा गया कि 17 जनवरी को शहर से मांस और मदिरा की दुकान हटाए जाने के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन अभी तक इसे लेकर कोई जवाब नहीं आया है. 

धर्मस्व विभाग की उप सचिव पुष्पा कुलेश ने मंत्री उषा ठाकुर के निर्देश का हवाला देते हुए आने वाले तीन दिनों में रिपोर्ट देने को कहा हैं. वहीं दूसरी तरफ जिलाधिकारी का कहना है कि उन्हें मंत्री की चिट्ठी मिली है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. 

कर्मचारी का चुनाव धर्म के आधार पर करने का नियम नहीं 

हालांकि एक तरफ जहां इस राज्य में आने वाले कुछ महीने में चुनाव होने वाले हैं वहीं धर्मस्व विभाग का ऐसा आदेश देना विवाद का कारण बन सकता है. इसका एक कारण ये भी है कि मां शारदा देवी मंदिर प्रबंध समिति के नियमों में कहीं भी ये नहीं कहा गया है कि कर्मचारी किस धर्म का होगा. समिति के नियमों में किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति में धर्म को आधार बनाए जाने का प्रावधान नहीं है.

2 मुस्लिम कर्मचारी कर रहे हैं मंदिर समिति में काम 

बता दें कि वर्तमान में शारदा मंदिर प्रबंध समिति में दो मुस्लिम कर्मचारी काम कर रहे हैं. इन कर्मचारियों का नाम आबिद हुसैन, अयूब खान है. आबिद हुसैन समिति में विधिक सलाहकार की भूमिका में हैं तो वहीं दूसरे कर्मचारी अयूब खान जल व्यवस्था संभाल रहे हैं. मां शारदा देवी मंदिर प्रबंध समिति के अधीक्षक नंदकिशोर पटेल के अनुसार ये कर्मचारी अभी भी बाहरी काम करते हैं. 

वहीं दशकों से यहां काम करे रहे मुस्लिम कर्मचारियों का कहना है कि 35 साल की सेवा के बाद ऐसा कुछ होगा इसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी. उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगा था कि सरकार इस तरह से एक झटके में उन्हें बाहर कर देगी. 

नियुक्ति को लेकर क्या कहता है संविधान?

संविधान के अनुच्छेद 14 में कहा गया है कि "राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानूनों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा". इसके अलावा अनुच्छेद 15 राज्य को केवल धर्म के आधार पर भेदभाव करने से रोकता है. अनुच्छेद 16 भी, भारतीय नागरिकों को राज्य के तहत रोजगार के मामलों में धर्म के आधार पर भेदभाव से बचाता है. अनुच्छेद 16 में सार्वजनिक पदों पर अवसर की समानता के प्रावधान किये गए हैं.

अनुच्छेद 16 (1) में कहा गया है, "राज्याधीन नौकरियों या पदों पर नियुक्ति के संबंध में सब नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी." 

अनुच्छेद 16 (2) केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, उद्भव, जन्म-स्थान, निवास अथवा इनमें से किसी के आधार पर किसी नागरिक के लिए राज्याधीन किसी नौकरी या पद के विषय में अपात्रता न होगी और न विभेद किया जाएगा. 

इस आदेश का बजरंग दल और विहिप ने किया स्वागत

विभाग के कथित आदेश का बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने स्वागत किया है. पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के नाम विश्व हिंदू परिषद की दो साल पुरानी एक चिट्ठी भी वायरल हो रही है जिसमें उसने गैर-हिंदुओं को मंदिर प्रबंधन समिति से हटाने की मांग की थी. इसमें दो गैर-हिंदू कर्मचारी का नाम भी लिखा गया था और यह शिकायत की गई थी कि इन्हें नियम के खिलाफ जाकर नियुक्त किया गया है. 

इस आदेश का चुनावी कनेक्शन 

मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव होंगे. आने वाले समय में होने वाले चुनावों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी नेताओं को नसीहत दे चुके हैं कि मुस्लिम समाज के बारे में गलत बयानबाजी न करें. सभी धर्मों और जातियों को साथ लेकर चलें. पीएम ने कहा था कि हमें वोट मिले या न मिले, लेकिन पार्टी को सबसे संपर्क बनाएं रखना और सभी धर्मों, जाति, समुदायों के लोगों को साथ लेकर चलना है. 

ऐसे में जहां एक तरफ पार्टी चुनाव से पहले कोई ऐसी चूक करने के लिए तैयार नहीं है जिसके चलते उसके सत्ता में बने रहने के रास्ते में कोई बाधा आए. वहीं दूसरी तरफ इस तरह का आदेश देना प्रदेश के मुसलमान समुदाय को नाराज कर सकता है. बता दें कि राज्य में 38 लाख मुस्लिम वोटर्स हैं. 

वर्तमान में मध्य प्रदेश में 7 सीटें पसमांदा बाहुल्य हैं. जबकि 5 जिलों में इनके वोट ही तय करते हैं कि यहां किस पार्टी की जीत होगी. भोपाल की उत्तर और मध्य विधानसभा के अलावा प्रदेश की 25% सीटों पर मुस्लिम वोट बैंक बड़ी भूमिका निभाता है.

मध्य प्रदेश में मुसलमानों की संख्या

वहीं नवीनतम जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में हिंदुओं, सिखों, बौद्धों और जैनियों का प्रतिशत मामूली रूप से कम हुआ है, जबकि मुसलमानों और ईसाइयों का प्रतिशत बढ़ा है. मध्य प्रदेश में मुसलमानों की जनसंख्या 47 लाख से ज्यादा है. यानी राज्य के कुल जनसंख्या का 6.57 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है. 

प्रसिद्ध संगीतकार अलाउद्दीन खान का घर था मैहर

मैहर प्रसिद्ध संगीतकार और मैहर घराने के संस्थापक बाबा अलाउद्दीन खान का घर था. जिसने भारतीय शास्त्रीय संगीत को कई बड़े नाम दिए हैं. खान के प्रसिद्ध शिष्यों में पंडित रविशंकर, पंडित निखिल बनर्जी और उनकी बेटी अन्नपूर्णा देवी और पुत्र उस्ताद अली अकबर खान शामिल हैं.

मैहर के महाराजा के दरबार में संगीतकार बाबा अलाउद्दीन खान को कई शास्त्रीय रागों की रचना करने का श्रेय दिया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि खान रोजाना मां शारदा मंदिर के दर्शन के लिए 1,063 सीढ़ियां चढ़ते थे और देवी के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करते थे. 

एक इंटरव्यू में बाबा अलाउद्दीन खान के शिष्य पंडित रविशंकर ने बताया कि उनके गुरु का घर देवी काली, भगवान कृष्ण और ईसा मसीह की तस्वीरों से भरा हुआ रहता था. इस शहर आज भी उनका घर वहीं है. 

मैहर का नाम मैहर कैसे पड़ा 

मध्य प्रदेश के सतना जिले में मैहर की माता शारदा का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां शाम की आरती होने के बाद जब मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है तब भी यहां मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा करने की आवाज आती है. लोगों का कहना है कि कपाट बंद हो जाने के बाद मां के भक्त ''आल्हा'' अभी भी उनकी पूजा करने आते हैं.

कहा जा सकता है कि मां शारदा मंदिर के कारण ही मैहर नगर का नाम अस्तित्व में आया. दरअसल श्रद्धालु देवी को मां या माई कहकर संबोधित करते चले आ रहे हैं. इस नगर में माई का घर होने के कारण सभी लोग इस जगह हो माई घर कहा करते थे. धीरे-धीरे इस जगह को मैहर के नाम से संबोधित किया जाने लगा. 

इस जगह के नाम को लेकर एक मान्यता ये भी है भगवान शंकर माता सती के शव को अपने कंधे पर लेकर तांडव कर रहे थे. इस दौरान उनके गले का हार त्रिकूट पर्वत के शिखर पर आ गिरा. इसी वजह से यह स्थान शक्तिपीठ और नाम माई का हार के आधार पर मैहर के रूप में विकसित हुआ.

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