Joshimath Tragedy: द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा है कि जोशीमठ की आपदा बेहद चिंताजनक है. विशेषज्ञों से विचार-विमर्कश करके तुरंत इसका उपाय किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी पर दोषारोपण करने की बजाय पहली प्राथमिकता यहां के लोगों की सुरक्षा होनी चाहिए. स्वामी सदानंद जी ने यह भी कहा कि उनके गुरु ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने 10-12 साल पहले ही चेता दिया था कि यहां पर जो अंधाधुंध प्रोजेक्ट चल रहे हैं,उन पर रोक लगाई जानी चाहिए अन्यथा यह विनाशकारी होगा.


जोशीमठ त्रासदी प्रकृति का प्रकोप है: शंकराचार्य स्वामी


नरसिंहपुर जिले की परमहंसी गंगा आश्रम में पत्रकारों से चर्चा में शंकराचार्य स्वामी सदानंद जी सरस्वती ने कहा कि, जोशीमठ में जो आपदा आई है, सभी लोग इससे दुखी हुए हैं. हम लोग ऐसा मानते हैं कि यह प्रकृति का प्रकोप है. हमारे देश की जो स्वाभाविक सुंदरता और नैसर्गिक धरोहर है उनके साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. पर्वत, पहाड़, झरना, गंगा नदी, नर्मदा नदी इन सब के ही कारण हमारे देश की संस्कृति में श्रेष्ठ माना गया है.


ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी ने 10-12 साल पहले दी थी चेतावनी


स्वामी सदानंद जी ने कहा कि हमारे सद्गुरु भगवान ब्रम्हलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी ने दस-बारह साल पहले ही इसके नारे में चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि जोशीमठ में जो बड़े-बड़े काम चल रहे हैं, उनको रोका जाना चाहिए.हमें उस वक्त विचार करने की आवश्यकता थी लेकिन नहीं किया तो परिणाम धीरे-धीरे आने लगे हैं.इन आपदाओं से बचने के लिए सभी को ध्यान देने की आवश्यकता है.अभी जो वास्तविकता है,वह भूगर्भ वैज्ञानिक ही बता सकते हैं. वही बता सकते है कि इसे कैसे रोका जा सकता है. जो होना था, वह तो हो चुका है.जो हो चुका है,उसमें किसकी भूल थी,उसमें अभी नहीं जाते हैं.यह उचित समय नहीं है. अभी तो सुधार की बात है. उसमें सुधार होना चाहिए.


समस्या का स्थाई हल निकाले जाने की जरूरत: शंकराचार्य स्वामी


शंकराचार्य स्वामी सदानंद जी ने कहा कि वहां के लोग बहुत कष्ट में हैं. हम लोग कष्ट में उनके साथ हैं. इसका स्थाई हल निकालना चाहिए. उनके गुरु भाई और ज्योतिष पीठ  के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज वहां सेवा कार्य कर रहे हैं.उनका पूरा सेवक मंडल भी सहायता कर रहा हैं.


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