MP Politics: ग्वालियर चंबल में ताकत झोंक रहे 'राजा-महाराजा', दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया में से कौन भारी?
MP News: ग्वालियर चंबल संभाग में 34 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस ने बीते चुनाव में 28 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. लेकिन बाद में कांग्रेस के विधायक बीजेपी में चले गए और उनकी सरकार चली गई.
MP Politics: आगामी विधानसभा चुनाव के पहले मध्य प्रदेश के अंदर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपने किले मजबूत करने में लगी हुई है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कमजोर कड़ी ग्वालियर चंबल संभाग में देखी गई थी. जिसका नुकसान उन्हें सरकार खोकर चुकाना पड़ा था, लेकिन उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आ जाने से ग्वालियर चंबल में बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई है. वहीं कांग्रेस अपने पुराने कारनामों को दोहराने के लिए पूरी ताकत के साथ ग्वालियर चंबल में जुटी हुई है.
दिग्विजय सिंह को सौंपी कमान
कांग्रेस ने जहां ग्वालियर चंबल संभाग को साधने के लिए अपने वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को कमान सौंपी है. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया चंबल और उसके आसपास के इलाकों में बीजेपी का परचम बुलंद किए हुए हैं. इसलिए राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच ग्वालियर चंबल में टक्कर कांटे की होने वाली है. जिसमें राजा और महाराजा एक दूसरे को चुनौती देते नजर आएंगे.
संभाग में 34 सीटें
वहीं आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर चंबल संभाग के अंतर्गत 34 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस ने बीते चुनाव में 28 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. लेकिन बाद में कांग्रेस के विधायक बीजेपी में चले गए और उनकी सरकार चली गई बाद में उपचुनाव के अंतर्गत इनमें से कुछ सीटें वापस बीजेपी की झोली में आ गई और कुछ कांग्रेस के पास चली गई.
50 साल बाद बीजेपी हारी मेयर का चुनाव
कांग्रेस ने जहां ग्वालियर चंबल संभाग को साधने के लिए अपने दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को कमान सौंपी है. वहीं वे अपने राजनीतिक गुणों से ग्वालियर चंबल में पैठ बना रहे हैं. दूसरी ओर बीजेपी के लिए चुनौती इसलिए भी कड़ी है. क्योंकि कांग्रेस से बीजेपी में गए नेताओं के कारण बीजेपी का स्थानीय समीकरण बिगड़ गया है. जिसके चलते कई नेता और कार्यकर्ता आंतरिक रूप से नाराज बताए जा रहे हैं पुराने और नए कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय नहीं देखने को मिल रहा है, जिसका उदाहरण ग्वालियर के नगर निगम चुनाव में देखने को मिला था और 50 सालों के लंबे अंतराल के बाद बीजेपी महापौर का चुनाव हारी थी.
चंबल में ये हैं बड़े नाम
ग्वालियर चंबल में बीजेपी के कई बड़े और दिग्गज नेता है, जिनमें नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरोत्तम मिश्रा जैसे कई बड़े नाम आते हैं, लेकिन फिर भी ग्वालियर चंबल में सबसे डायनेमिक चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं. अब देखने वाली बात होगी उनका प्रभाव क्या दिग्गी राजा के प्रभाव को सीधा चुनौती देकर कम कर पाता है या नहीं इस संबंध में जब एबीपी संवाददाता ने बीजेपी के ग्वालियर प्रभारी जीतू जिराती से चर्चा की उन्होंने बताया कि कांग्रेस के पास कोई नेतृत्व ही नहीं है और खासकर दिग्विजय सिंह जनता का भरोसा खो चुके हैं पहले राघोगढ़ और गुना को बचाएं, इसके बाद अन्य स्थानों की बात करें.
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