MP Election: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए क्यों अहम, जानें- क्या है सबसे बड़ी चुनौती?
MP Election 2023: ज्योतिरादित्य सिंधिया के 50 समर्थकों में से अगर 20 भी विधायक बन जाते हैं, तो BJP में उन्हें कमांडिंग सीट मिल जाएगी. वहीं, विरोधी नेता चाहते हैं कि सिंधिया समर्थक विधायकों की संख्या 5-6 तक सिमट जाए.
Jyotiraditya Scindia in MP Election 2023: कहते हैं कि बगावत तो चंबल के पानी में है. साल 2020 में चंबल की राजनीति ने भी एक बगावत देखी थी. ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से कांग्रेस की सरकार रातों-रात गिर गई थी. लेकिन, कहा जा रहा है कि इसके बाद ग्वालियर-चंबल की राजनीति अब अजब मोड़ ले चुकी है.
बीजेपी के बड़े नेताओं से बनाए गहरे संबंध
स्थानीय राजनीति के जानकारों के मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के क्षत्रपों को साध कर अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं, लेकिन बीजेपी कैडर उनकी जमीन सरकाने में जुटा है. इसी क्रम में बीजेपी दिग्गज जयभान सिंह पवैया की चाची के निधन पर सिंधिया का पहुंचना चर्चा का विषय बना गया. जबकि कभी दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कैलाश विजयवर्गीय और उमा भारती से भी अपने संबंधों में गर्माहट ला दी है.
साल 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी की थी. लोकसभा चुनाव में हार से बौखलाए सिंधिया की बगावत के बाद महज डेढ़ साल में ही कांग्रेस के हाथ से सत्ता फिसल गई. उन्होंने अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया.
बीजेपी की कमांडिंग सीट पाने के लिए सिंधिया का ये प्लान
15 साल बाद 15 महीने के लिए मिली प्रदेश की सत्ता, सिंधिया की वजह से जाने का दर्द पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को अभी भी टीस दे रहा है. कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल इलाके को बड़ी चुनौती के रूप में लेते हुए खास रणनीति तैयार की है. जानकर सूत्रों का कहना है कि यहां कांग्रेस को सिंधिया से नाराज बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं का साथ भी मिला रहा है.
वैसे, कहा जा रहा है कि सिंधिया की राजनीतिक जमीन उनके समर्थकों को मिलने वाली विधानसभा की टिकट और उनके जीतने के बाद तय होगी. ग्वालियर-चंबल के अलावा मालवा और मध्य भारत से अपने 40-50 समर्थकों के लिए टिकट की दावेदारी कर सकते हैं. वैसे उनके 20 से 25 समर्थक भी जीतकर आ गए तो वे बीजेपी में कमांडिंग सीट पर होंगे.
सिंधिया विरोधी नेताओं ने बनाई ये रणनीति
लेकिन, ग्वालियर-चंबल में यह भी चर्चा है कि बीजेपी कैडर और सिंधिया विरोधी नेता चाहते हैं कि उनके समर्थक विधायकों की संख्या आधा दर्जन तक सिमट जाए ताकि बीजेपी में उनके राजनीतिक कद को छोटा किया जा सके. ग्वालियर नगर निगम के महापौर पद पर बीजेपी उम्मीदवार की हार को पार्टी की इसी अंदरूनी कलह के तौर पर देखा गया था.