MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश की राजनीति में शायद यह पहला मौका होगा जब भारतीय जनता पार्टी को अपने ही नेताओं की वजह से सत्ता की चाबी पाने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी के लिए विधानसभा टिकट बांटना अब आसान नहीं रहा है. बीजेपी के कई बड़े नेता पार्टी की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं. हो सकता है कि इस बार बीजेपी के कई बड़े नेता पाला बदलकर कांग्रेस में चले जाएं. 


उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को विपक्ष में भेज दिया. इन विधायकों ने विधानसभा का उपचुनाव लड़ा और अधिकांश जीतकर बीजेपी के साथ चले गए. अब इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी को नई-नई रणनीति तैयार करनी पड़ रही है. इसका सबसे बड़ा कारण केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों और मंत्रियों को पार्टी की ओर से टिकट देना तय है. 


बीजेपी के कई नेताओं को खुद में शामिल कर सकती है कांग्रेस
ऐसे में बीजेपी और संघ के लिए वर्षों से काम कर रहे कार्यकर्ता और नेताओं को उन सीटों पर अपनी दावेदारी जानी दिखाई दे रही है. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेता सक्रिय हो गए हैं. भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता डैमेज कंट्रोल करने में अभी से जुट गए हैं, जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस ऐसे जनाधार वाले नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर सकती है जो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विजय हासिल कर सकते हैं. 


दिग्विजय सिंह लगा रहे हैं बीजेपी के किले में सेंध!
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार उन सीटों पर भ्रमण कर रहे हैं, जहां पर बीजेपी की हमेशा जीत होती है. इनमें से कई सीट ऐसी हैं, जहां पर ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायक बीजेपी की ओर से जीत कर आए हैं और मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार बीजेपी के बागियों पर नजर रख रहे हैं. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आगामी 1 महीने के अंदर पाला बदलने के कई चौंकाने वाले समीकरण सामने आ सकते हैं. 


पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे की बगावत ने आंखें खोलीं
पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी खुलेआम बगावत के सुर मुखर कर रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि 6 मई तक वे किसी ठोस निर्णय पर पहुंच जाएंगे. पूर्व मंत्री दीपक जोशी हाटपिपलिया सीट से अपनी दावेदारी कर रहे हैं, जबकि इस सीट से सिंधिया समर्थक विधायक मनोज चौधरी का टिकट तय माना जा रहा है. मनोज चौधरी मंत्री पद की दौड़ में भी शामिल थे मगर मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने की वजह से उन्हें मंत्री नहीं बनाया जा सका. 


ऐसी संभावना है कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो आने वाले समय में मनोज चौधरी को मंत्री भी बनाया जा सकता है. इस बगावती तेवर के बाद उन सीटों पर भी बीजेपी के सामने कई नेता खुलकर खड़े हो रहे हैं, जिनपर कांग्रेस के विधायकों ने बगावत करते हुए बीजेपी की सरकार बनाई थी.


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