Jyotiraditya Scindia Targets Jairam Ramesh: न केवल देश की बल्कि मध्य प्रदेश की राजनीति में भी चुनावी बुखार जमकर चढ़ने लगा है. इसके ताप से नेता एक दूसरे के खिलाफ तीखे आरोप लगा रहे हैं. इतना ही नहीं, ये आरोप अब व्यक्तिगत स्तर तक पहुंच रहे हैं. ताजा मामला कांग्रेस के मीडिया विभाग प्रभारी जयराम रमेश और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच आरोप-प्रत्यारोप का है. पहले जयराम रमेश ने कहा कि गुलाम नबी आज़ाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही कांग्रेस सिस्टम और पार्टी नेतृत्व के बड़े लाभभोगी रहे हैं. इसपर पलटवार करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक कहावत कही- मुंह में राम बगल में छुरी!


पहले जानते हैं कि इस पूरे मामले की शुरुआत कहां से हुई? सबसे पहले अनुभवी राजनेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि राहुल गांधी प्राथमिक कारण थे, जिनकी वजह से उन्होंने और कई अन्य ने कांग्रेस छोड़ी. उन्होंने दावा किया कि देश की सबसे पुरानी पार्टी में रहने के लिए 'रीढ़विहीन' होने की जरूरत है. 


उन्होंने दावा किया कि अब न ही कांग्रेस संसदीय पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के हाथ में और न ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के हाथ में है कि वे चाहकर भी पार्टी में उनकी वापसी करा दें. आजाद ने जोर देकर कहा कि अगर राहुल गांधी भी उन्हें पार्टी में वापस आने को कहेंगे तो यह ‘देर से उठाया गया अपर्याप्त’कदम होगा. 


'उदारता के वे योग्य नहीं थे सिंधिया और गुलाम नबी आजाद'
गुलाम नबी आजाद के इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी उनके खिलाफ हमलावर हो गई.पहले राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह और फिर मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने मोर्चा खोला. जयराम रमेश ने गुलाम नबी आजाद के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी लपेटे में ले लिया.


जयराम रमेश ने गुरुवार को अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, "गुलाम नबी आज़ाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही कांग्रेस सिस्टम और पार्टी नेतृत्व के बड़े लाभभोगी रहे हैं. लेकिन अब हर गुजरते दिन के साथ, वे प्रमाण देते हैं कि इस उदारता के वे योग्य नहीं थे. वे अपना असली चरित्र दिखा रहे हैं, जिसे उन्होंने इतने लंबे समय तक छुपा कर रखा था."


ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया पलटवार
अब पलटवार करने की बारी ज्योतिरादित्य सिंधिया की थी. उन्होंने गुरुवार को ही जयराम रमेश के ट्वीट पर रिप्लाई किया- 'मुंह में राम बगल में छुरी!' आपका ऐसा वक्तव्य साफ दर्शाता है कि कितनी मर्यादा और विचारधारा कांग्रेस में बची है. वैसे भी आप केवल स्वयं के प्रति समर्पित हैं. इसी से आपकी राजनीति जीवित है. मैं और मेरा परिवार हमेशा जनता के प्रति जवाबदेह रहे हैं.


राजीनीतिक जानकार कह रहे हैं कि नवंबर 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ ही 2024 के मई-जून में होने वाले लोकसभा चुनाव तक नेताओं और राजनीतिक दलों में तीखी बयानबाजी और व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहेगा.


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