Mahakal Shahi Sawari: इसलिए सिंधिया परिवार का एक सदस्य महाकाल की सवारी में जरूर होता है शामिल, जानें इसकी वजह
Mahakal Shahi Sawari: महाकाल की शाही सवारी में शामिल होने के लिए सिंधिया परिवार का एक सदस्य जरूर आता है. इसके पीछे बड़ी रोचक कहानी है. भादो के दूसरे सोमवार ज्योतिरादित्य सिंधिया उज्जैन आ रहे हैं.
Jyotiraditya Scindia in Mahakal Shahi Sawari: भगवान महाकाल की शाही सवारी में सिंधिया परिवार का एक न एक सदस्य भगवान की आरती करने के लिए हमेशा आते हैं. भाद्र माह के दूसरे सोमवार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए उज्जैन आ रहे हैं. वे रामघाट पर भगवान महाकाल की पूजा अर्चना करेंगे.
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी आशीष शर्मा ने बताया कि प्राचीन का समय से ही सिंधिया परिवार के सदस्य द्वारा भगवान महाकाल की आरती और पूजा की जा रही है. इसके लिए पूर्व में राजमाता सिंधिया भी उज्जैन आ चुकी है. इनके अलावा यशोदा राजे सिंधिया ने भी भगवान महाकाल की सवारी में हिस्सा लेकर पूजा अर्चना की.
पुजारी ने आगे बताया कि भादो माह के दूसरे सोमवार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सवारी में शामिल होंगे और पूजा अर्चना करने आ रहे हैं. वे सीधे रामघाट पर पहुंचेंगे और वहीं पर भगवान महाकाल की पूजा अर्चना करेंगे. शाही सवारी पूरे लाव लश्कर के साथ निकाली जाती है. सिंधिया परिवार के कोई भी सदस्य शाही सवारी में शामिल होकर भगवान की पूजा अर्चना और आरती जरूर करते हैं.
सिंधिया स्टेट के समय दिया गया था भव्य रूप
पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि भगवान महाकाल की सवारी प्राचीन समय से निकल रही है लेकिन सिंधिया स्टेट के दौरान सवारी को भव्य रूप दिया गया. उस समय भी सिंधिया परिवार की ओर से भगवान महाकाल की सवारी के दौरान पूजा अर्चना और आरती की जाती थी. वे अधिकांशत: द्वारकाधीश गोपाल मंदिर से भगवान महाकाल की आरती करते आए हैं. इसी परंपरा का निर्वहन अभी भी किया जा रहा है.
इसलिए निकल जाती है भगवान महाकाल की सवारी
महाकालेश्वर मंदिर के पंडित यश गुरु ने बताया कि जो भक्त, पशु, पक्षी या अन्य जीव भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर नहीं आ पाते हैं, उन्हें राजाधिराज भगवान महाकाल खुद सावन, भादो, कार्तिक और अग्गन मास में दर्शन देने के लिए निकलते हैं. इसके अलावा दशहरे पर भी भगवान महाकाल की सवारी निकलती है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में इस प्रकार की अनूठी परंपरा केवल महाकालेश्वर मंदिर में ही निभाई जाती है.
ये भी पढ़ें
Mahakal Shahi Sawari: भगवान महाकाल की शाही और अंतिम सवारी आज, 4 लाख भक्तों के शामिल होने का दावा