Kaal Bhairav Ashtami 2022: अज्ञात भय और चिंता से मुक्ति दिलाने का एक ऐसा खास दिन आ गया, जिसका भैरव (Bhairav Jayanti 2022) के उपासक साल भर इंतजार करते हैं. बुधवार को भैरव अष्टमी का पर्व है. माना जाता है कि भगवान भैरवनाथ की पूजा करने से विशेष सफलता मिलती है. धार्मिक नगरी उज्जैन में अष्ट भैरव विराजमान हैं, जो आठों दिशाओं का संचालन और संतुलन करते हैं. इनकी पूजा का धार्मिक शास्त्रों में भी विशेष महत्व बताया गया है. 


ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बावाला ने बताया कि माघ शीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान भैरवनाथ की जन्मोत्सव अर्थात जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान भैरवनाथ की पूजा का विशेष महत्व धार्मिक नगरी उज्जैन में अष्ट भैरव विराजमान है. काल भैरव, पाताल पाताल भैरव, बटुक भैरव, विक्रांत भैरव, काला गोरा भैरव, दंड पाणी भैरव, आनंद भैरव अलग-अलग दिशाओं में विराजमान है, जिनके दर्शन और पूजा करने से विशेष सिद्धि प्राप्त होती है. काल भैरव मंदिर के पुजारी राकेश त्रिवेदी ने बताया कि भैरव अष्टमी को भगवान भैरवनाथ का उत्साह के साथ जन्म उत्सव मनाया जाता है. जन्म उत्व के दौरान भगवान काल भैरव की सवारी भी निकलती है. काल भैरव की आराधना से अज्ञात भय, चिंता से मुक्ति मिलती है. 


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उज्जैन के काल भैरव का विशेष महत्व
भगवान काल भैरव को भगवान महाकाल का सेनापति माना जाता है. कोतवाल की इजाजत के पहले राजाधिराज के दरबार में हाजिरी नहीं लगाई जाती. यही वजह है कि कई श्रद्धालु पहले काल भैरव का आशीर्वाद लेते हैं. इसके बाद महाकालेश्वर के दरबार में पहुंचते हैं. वर्तमान समय में कई श्रद्धालु पहले भगवान महाकाल की पूजा अर्चना करते हैं. इसके बाद काल भैरव के दर्शन करने के लिए जाते हैं. काल भैरव मंदिर मैं दर्शन करने मात्र से कई मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 


काल भैरव की आराधना से कम होता है शनि का प्रकोप
काल भैरव की आराधना से कुल देवता की कृपा भी होती है इसके अलावा शनि देवता का भी प्रकोप कम होता है. वर्तमान समय में शनि मकर राशि पर चल रहे हैं. ऐसे में मकर राशि के जातक अगर काल भैरव की आराधना करते हैं तो शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा अन्य राशि के जातक भी काल भैरव को प्रसन्न कर अपने जीवन में कई सफलताएं अर्जित कर सकते हैं.