(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Kaal Bhairav Ashtami 2021: कल नगर भ्रमण पर निकलेंगे काल भैरव, सिंधिया घराने से आती है पगड़ी, जानें दर्शन का महत्व
भैरव अष्टमी पर भगवान काल भैरव की सवारी निकाली जाती है. यह सवारी मंदिर से निकलकर केंद्रीय जेल भैरवगढ़ होते हुए सिद्धवट पर पहुंचती है और शिप्रा तट पर पूजा अर्चना के बाद पालकी मंदिर की ओर रवाना होती है.
Kaal Bhairava Ashtami 2021: राजाधिराज भगवान महाकाल की तरह उनके सेनापति काल भैरव भी नगर भ्रमण पर निकलते हैं. धार्मिक नगरी उज्जैन में यह अनूठी परंपरा निभाई जाती है. साल में दो बार काल भैरव की सवारी निकलती है, जिसके दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में भक्त आते हैं.
भैरव अष्टमी के अवसर पर भगवान काल भैरव की सवारी निकाली जाती है. यह सवारी मंदिर से निकलकर केंद्रीय जेल भैरवगढ़ होते हुए सिद्धवट पर पहुंचती है और वहां से फिर शिप्रा तट पर पूजा अर्चना के बाद पालकी मंदिर की ओर रवाना होती है. भैरव अष्टमी पर भगवान महाकाल के कोतवाल काल भैरव का विशेष श्रृंगार भी किया जाता है.
सिंधिया घराने से आती है पगड़ी
मंदिर के पुजारी धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि काल भैरव की सवारी रविवार शाम 4 बजे मंदिर से निकलेगी. सबसे खास बात यह है कि भैरव अष्टमी पर्व पर काल भैरव का सोने की बदक से श्रृंगार किया जाता है. पुजारी के मुताबिक साल में एक बार सिंधिया घराने से भगवान काल भैरव की पगड़ी आती है. यह पगड़ी भैरव अष्टमी पर काल भैरव को पहनाई जाती है. इसके बाद जिला प्रशासन की ओर से डीएम आशीष सिंह द्वारा पालकी का पूजन किया जाएगा, फिर पालकी मंदिर से रवाना होगी. यह परंपरा सालों से चली आ रही है.
भगवान महाकाल के पहले दर्शन का महत्व
काल भैरव मंदिर परिसर में स्थित भगवान दत्तात्रेय मंदिर के पुजारी रोहित उपाध्याय के मुताबिक भगवान महाकाल के दर्शन के पहले कोतवाल काल भैरव के दर्शन का भी विशेष महत्व है. कोतवाल काल भैरव से अनुमति लेने के बाद राजाधिराज भगवान महाकाल के दर्शन के लिए जाना बेहद शुभ माना जाता है. हालांकि अधिकांश श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन करने के बाद काल भैरव का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं.
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