मध्यप्रदेश में इन दिनों कैलाश विजयवर्गीय का नाम काफी चर्चा में है. मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा में एक लंबी फेहरिस्त है जो बीते दिनों वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह गिनवा चुके हैं. इसी बीच एक दिन पहले कैलाश विजयवर्गीय के एक बयान ने सीएम रेस में उनका नाम भी शामिल कर दिया है. 


'मुंह में घी शक्कर तो ठीक है पर औरों का क्या होगा'


कैलाश विजयवर्गीय से जब सवाल किया गया कि क्या मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में आपको देखा जा सकता है तो विजयवगीय ने पत्रकारों से कहा, आपके मुंह में घी शक्कर. हालाकि विजयवर्गीय समर्थक लाख कहें कि वे इस बात को विनोदवश कह गए लेकिन सियासत में कोई भी शब्द या वाक्य यूं ही नहीं कहा जाता ये तो तय है. ऐसे में विजयवर्गीय के इस बयान ने उन नेताओं की नींद उड़ा दी है जो कहीं न कहीं सीएम बनने के ख्वाब संजोए बैठे थे.


शिवराज की पारी, सब पर भारी
सियासत के जानकार और दिग्गज भाजपा नेताओं का मानना है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना लाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपनी सीएम की कुर्सी पक्की कर ली है. हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि एंटीइन्कम्बेंसी बीजेपी के बजाए सीएम शिवराज के खिलाफ हो रही है लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बीते वक्त में खुद को प्रोजेक्ट किया है उससे उक्त बातें कमजोर होती भी नजर आती हैं. समाज का एक तबका मानता है कि सीएम ने सीखो कमाओ योजना जैसी योजनाएं लाकर प्रदेश में युवाओं पर भी पकड़ बनाई है. 


कैलाश को बड़ी जिम्मेदारी 
बीजेपी आलाकमान ने एक तीर से कई निशाने खेले हैं. हालांकि इस बार अमित शाह मध्यप्रदेश के लगातार दौरों पर भी रहे. उन्होनें कैलाश विजवर्गीय के साथ मिलकर एमपी में पार्टी का परचम फिर से लहराने के लिए मजबूत किलाबंदी भी है ताकि कांग्रेस इस चुनाव में भाजपा को मात न दे सके. लेकिन कांग्रेस के पास इस वक्त भ्रष्टाचार और बेराजगारी के दो बड़े मुददे हाथ में हैं जिसके दम पर जनता के बीच जाकर कांग्रेस अपनी जीत का दम भर रही है. 


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