Kamal Nath Political Journey: मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सक्रिय हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने आज विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के वरिष्ठ विधायक डॉ गोविंद सिंह को मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया. हालांकि कमलनाथ अब भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने रहेंगे. दरअसल कमलनाथ पर लंबे समय से दो में से एक पद छोड़ने का प्रेशर था और मध्य प्रदेश में एक व्यक्ति एक पद की मांग भी बहुत पहले से उठ रही रही थी. चलिए जानते हैं कमलनाथ का अब तक का सियासी सफर कैसा रहा है. 


कांग्रेस में कमलनाथ काफी सीनियर नेताओं में से एक हैं. कमलनाथ को संजय गांधी का करीबी माना जाता रहा है. वह संजय गांधी के स्कूल के दोस्त भी रहे हैं. दून स्कूल से शुरू हुई यह दोस्ती काफी लंबी चली और इसी वजह से कमलनाथ ने अपना सबकुछ कांग्रेस पार्टी की सेवा में लगा दिया. 1980 में कांग्रेस ने उन्हें पहली बार छिंदवाड़ा से टिकट दिया था. इंदिरा गांधी ने उस समय चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि मैं नहीं कहती आप कमलनाथ को वोट दें बल्कि मैं कहती हूं कि आप मेरे तीसरे बेटे को वोट करें.


1980 में जीता पहला चुनाव
कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से 1980 से पहली बार चुनाव जीता और उसके बाद ही इस इलाके की तस्वीर बदलने में लग गए. वह छिंदवाड़ा से 9 बार सांसद चुने गए हैं. उनके सियासी सफर में ढलान तब आया जब संजय गांधी की मौत हो गई और फिर इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. इसके बाद भी वह पार्टी के प्रति हमेशा वफादार रहे. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में उनका नाम भी आया था लेकिन उनकी भूमिका सज्जन कुमार या जगदीश टाइटलर जैसे नेताओं की तरह स्पष्ट नहीं हो सकी.


जब उपचुनाव में मिली हार
उनके सियासी सफर में सिख विरोधी दंगे और हवाला कांड दो ऐसे वाकये हैं जिसने उनकी सियासी सफर और व्यक्तित्व पर सवाल उठाए. 1996 में जब कमलनाथ पर हवाला कांड के आरोप लगे थे तब पार्टी ने छिंदवाड़ा से उनकी पत्नी अलकानाथ को टिकट देकर उतारा था और वो जीत गई थीं, लेकिन अगले साल हुए उपचुनाव में कमलनाथ को हार का मुंह देखना पड़ा था. वे छिंदवाड़ा से केवल एक ही बार हारे हैं.


केंद्र में भी कई अहम पद मिले 
कमलनाथ ने कांग्रेस सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली है. यूपीए सरकार में पर्यावरण और वन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. साल 1995 से 1996 तक केंद्र सरकार में कपड़ा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे. 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. 2009 में यूपीए-टू में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. 2001 से 2004 तक कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे.


2018 में बनाए गए मुख्यमंत्री
अप्रैल 2018 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. वहीं विधानसभा चुनावों में कमलनाथ ने पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा की. इसके बाद राहुल गांधी ने सीएम पद को लेकर कमलनाथ के नाम पर ही मुहर लगाई थी. हालांकि बाद में मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बना दिए गए.


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