कटनी में बाढ़ का प्रलय! पेड़ और घर की छतों पर चढ़कर बचाई जान, तबाही देख ग्रामाणों की आंखों में आंसू
Flood in Katni: बीते दिनों कटनी सहित प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए. भारी बारिश से कई गांवों में पानी भर गया और भारी तबाही हुई. कई जगहों पर घर क्षतिग्रस्त हो गए
Katni News Today: मध्य प्रदेश के कटनी जिले में भारी बारिश की वजह से कई गांव में बाढ़ के हालात पैदा हो गए थे. लोगों ने घरों की छत और पेड़ों पर बैठकर अपनी जान बचाई है. अब धीरे-धीरे बाढ़ का पानी कम हो रहा है, तो ऐसे में तबाही के मंजर को देख लोगों की आंखों में आंसू आ रहे हैं.
इस आपदा को करीब से देखने समझने के लिए एबीपी न्यूज टीम ने कटनी के ग्राम छोटी कछार पहुंची और हालात का जाएजा लिया. कटनी के ग्राम छोटी कछार पहुंचने पर पता चला कि अब बाढ़ का पानी उतर गया है.
तबाही देख छलकी गांव वालों की आंखे
इस गांव में चारों तरफ तबाही का मंजर है. गांव में प्रधानमंत्री आवास में बने पक्के घर ही बचे हैं, जबकि कच्चे मकान पूरी तरह टूट गए हैं. टूटे हुए घरों से लोग अपना सामान निकालते नजर आए.
घरों में रखा खाने पीने का सामान और गेहूं सहित कई चीजें खराब हो गई हैं. लोग घरों से सामान और गेहूं निकालकर फेंकते हुए नजर आए. अपने घरों की तबाही देख लोगों की आंखों में आंसू नजर आए. इस आपदा से हताशा ग्रामवासी सरकार की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं.
'पेड़ और छत पर बैठकर बचाई जान'
एबीपी न्यूज टीम ने बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों से चर्चा की. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में दो दर्जन से अधिक घर हैं. गांव की आबादी लगभग एक हजार के करीब है. ग्रामीणों ने बताया कि 70 साल में पहली बार ऐसी बारिश देखी है.
दोपहर से शुरू हुई बारिश थमी ही नहीं थी कि गांव में बाढ़ जैसे हालात पैदा होने लगे. घरों की छत और पेड़ों पर बैठकर हमने अपनी जान बचाई है. गांव के लोग प्रशासन के रवैया से नाराज आए.
ग्रामीणों ने बताया कि हमारी मदद के लिए कोई नहीं आया. तीन दिन से भूखे प्यासे हैं, लेकिन अब तक किसी ने सुध नहीं ली. गांव के सभी कच्चे मकान ढह गए हैं.
'बच्चों को लेकर कहां जाएं'
बातचीत के दौरान अपनी पीड़ा बताते हुए लोगों की आंखें भर आई. लोगों ने अपनी लाचारी बयान करते हुए कहा कि अब बच्चों को लेकर कहां जाए, खाने-पीने का कोई भी सामान नहीं बचा है. तीन दिन से भूखे हैं.
पीड़ित ग्रामीणों के मुताबिक, बच्चे भूख से तड़प रहे हैं. अब तक किसी ने हमारी मदद नहीं की है, आगे क्या होगा कुछ समझ नहीं आ रहा है. सब कुछ बर्बाद हो गया है.
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