Khajuraho International Film Festival 2021: खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 5 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है लेकिन इसका विरोध अभी से होने लगा है. स्थानीय कलाकारों ने छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह को ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया कि इतने बड़े आयोजन में बुंदेलखंड के स्थानीय कलाकारों की उपेक्षा की जाती है. हालांकि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि स्थानीय कलाकारों को भी इसमें पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलेगा. छतरपुर और खजुराहो के स्थानीय कलाकारों का कहना है कि बुन्देलखंड प्रतिभाओं की खान है. यहां के कलाकार बॉलीवुड की फिल्मों में अपनी कला का जौहर दिखा चुके हैं लेकिन उनको इस फेस्टिवल में हमेशा उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है.
कला क्षेत्र से जुड़े नितिन पटेरिया और अरविंद दीक्षित के मुताबिक सरकार आयोजन पर लाखों करोड़ों रुपये खर्च करती है लेकिन इसका स्थानीय कलाकारों को कोई लाभ नहीं होता है. इतना ही नहीं मायानगरी मुंबई में काम कर रहे यहां के कलाकारों का कभी मंच से नाम तक नहीं लिया जाता है. उसके कारण स्थानीय कलाकारों में रोष है. इसके विरोध में स्थानीय कलाकारों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.
गौरतलब है कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर खजुराहो में 11 दिसम्बर तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल की थीम देश भक्ति रखा गया है. पर्यटन, संस्कृति और जनसंपर्क प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला के मुताबिक देश भक्ति थीम पर आधारित देशभर के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशकों की 75 फिल्मों का प्रदर्शन इस फेस्टिवल में किया जायेगा. खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में फिल्मों के प्रदर्शन के दौरान देश के कई जाने-माने फिल्म अभिनेता, अभिनेत्रियां, निर्माता, निर्देशक और विशेषज्ञ भी उपस्थित रहेंगे.
हालांकि शुक्ला का दावा है कि फेस्टिवल के दौरान स्थानीय कलाकारों की तैयार की गई फिल्में भी दिखायी जायेंगी और स्थानीय प्रतिभाओं को सशक्त मंच प्रदान किया जायेगा. पर्यटन और संस्कृति विभाग एवं बुंदेलखंड विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वधान में फिल्म फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है. फेस्टिवल के आयोजन से न सिर्फ देश-विदेश के पर्यटक और सैलानी प्रदेश की स्थानीय संस्कृति, पुरातात्विक धरोहर से परिचित होंगे बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.
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