MP News: मध्य प्रदेश के खंडवा में गर्ल्स कॉलेज में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट्स से पर्सनालिटी डेवलपमेंट सब्जेक्ट के टेस्ट में आपत्तिजनक सवाल पूछे जाने के बाद मामला गर्म हो गया है. आपत्तिजनक सवालो की लेकर गर्ल्स कॉलेज स्टूडेंट्स ने कॉलेज प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है. हालांकि कॉलेज प्रिंसिपल का कहना है कि मनोविज्ञान में इन प्रश्नों का जिक्र है, लेकिन मामला बढ़ता देख कॉलेज प्रिंसिपल तुरंत टेस्ट रद्द करने के आदेश दे दिए.
पेपर में इस तरह के सवाल पूछे गए जिन पर छात्राओं ने की आपत्ति-
1. 'मुझे कभी-कभी यह चिंता हो जाती है कि कहीं मैं नपुसंक न हो जाऊं.'
2. 'विपरीत लिंग के व्यक्ति से मिलने पर मुझे कुछ घबराहट सी मालूम होती है.'
3. 'बुढ़ापे से शारीरिक शक्ति के क्षीण होने की संभावना मुझे सताया करती है.'
4. 'कभी-कभी मैं यह सोचकर परेशान हो जाता हूं, कि क्रोध में मैं किसी की हत्या न कर दूं या भारी नुकसान न पहुंचा दूं.'
छात्राओं ने कहा कि पूरा टेस्ट सिलेबस से अलग है. फर्स्ट ईयर की कई छात्राओं की उम्र 18 वर्ष से भी कम है. छात्राओं ने आरोप लगाया कि कॉलेज में व्यक्तित्व विकास का विषय अयोग्य और असक्षम प्रोफेसर्स से पढ़वाया जा रहा है. जो कि अनुचित है. इसके बाद कॉलेज प्रबंधन से इस प्रश्न-पत्र को रद्द करने के आदेश जारी कर दिए.
कराई गई है शिकायत
इन सवालों के पूछे जाने पर छात्राओं ने आपत्ति लेते हुए लिखित में गर्ल्स कॉलेज प्राचार्य से शिकायत कराई. छात्राओं का कहना है कि व्यक्तित्व विकास के विषय में साइकोलॉजी की एक बुक से सवाल लिए गए, जो कि सिलेबस के हटकर तो है साथ में क्लीनिक है. यानी कि यह एक क्लिनिकल टेस्ट के प्रश्न होते है, जो मरीजों से पूछे जाते है. इन प्रश्नों में इतने आपत्तिजनक और अश्लील सवाल है. जिनके जवाब देने में भी शर्म आ रही है. यह छात्राओं की गरिमा के खिलाफ है.
इस किताब से लिया गया है सवाल
जिस पुस्तक से गर्ल्स कॉलेज के स्टॉफ ने यह सवाल लिए है. वह रुपा साइकोलॉजिकल सेंटर वाराणसी से प्रकाशित है. इनमे पब्लिशर्स ने लिखा कि टेस्टबुक में 10 क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, उपस्थिति और चोट, महत्वाकांक्षा का क्षेत्र, पारिवारिक चिंताएं, दोस्ती और प्रेम संबंधी चिंताएं, सामाजिक संबंध और अनुमोदन, भविष्य की चिंताएं, सभ्यता की चिंताएं, युद्ध, सदाचार, अपराध और शर्म, शारीरिक और शारीरिक अभिव्यक्तियां और मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्तियां शामिल है. टेस्ट बुक में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग प्रतिशत मानदंड उपलब्ध हैं.
अपने खर्च से कराया टेस्ट पेपर की फोटो कॉपी
19 से 24 साल की आयु समूह का होना अनिवार्य है. छात्राओं ने शिकायत में इस बात का जिक्र भी किया कि, टेस्ट पेपर के लिए उन्हें रूपा साइकोलॉजिकल सेंटर की बुक के 8 पृष्ठ थमा दिए गए. कहा गया कि, इन 8 पन्नों की फोटोकॉपी उन्हें खुद ही करानी पड़ेगी. फर्स्ट ईयर की 500 से ज्यादा छात्राओं ने अपने खर्च से टेस्ट पेपर के लिए फोटोकॉपी कराई.
क्या कहा कॉलेज प्राचार्य डॉ. एके जैन ने?
कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. एके जैन का बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत व्यक्तित्व विकास विषय पाठ्यक्रम में शामिल है. जिसे किसी भी संकाय का स्टूडेंट्स वोकेशनल कोर्स के रूप में सिलेक्ट कर सकता है. आंतरिक मूल्यांकन के लिए प्रश्न-पत्र को साइकोलॉजी विभाग ने तैयार किया है. जो प्रश्न पूछे गए हैं, वह विषय आधारित है. प्राचार्य डॉ. एके जैन का कहा कि मेरी टेबल पर एक शिकायती आवेदन मिला है. जिसमें कुछ छात्राओं ने प्रश्न-पत्र पर आपत्ति जाहिर की, इसलिए मैंने तत्काल उस प्रश्न पत्र को रद्द करने के निर्देश दिए.