Khargone News: खरगोन में कैसे पढ़ें आदिवासी बच्चे? स्कूल की छत जर्जर होने से पेड़ के नीचे लग रही क्लास
खरगोन में स्कूल की जर्जर हालत होने पर आदिवासी बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. ग्रामीणों के अनुसार गांव में स्कूल भवन जर्जर है.
MP News: मध्य प्रदेश में आज भी आदिवासी समाज किस तरह पिछड़ा हुआ है और शिक्षा के क्षेत्र में क्या स्थिति है. इसका उदाहरण खरगोन जिले के भिकनगांव विकासखंड की ग्राम पंचायत निमोनी में देखने को मिला. बिजासनी चौकी फालिया में स्कूल की जर्जर हालत होने पर आदिवासी बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. ग्रामीणों के अनुसार गांव का स्कूल भवन पुराना और जर्जर है. बरसात में स्कूल की छत से पानी गिरने के कारण दीवारों में दरार तक पड़ चुकी है. स्कूल का भवन कभी भी भरभराकर गिर सकता है.
पेड़ के नीचे टाट पट्टी पर पढ़ाई को मजबूर आदिवासी बच्चे
ग्रामीणों ने शिक्षिका को उचित भवन नहीं होने की वजह से पेड़ के नीचे टाट पट्टी पर पढ़ाने का सुझाव दिया. वरिष्ठ अधिकारी मामले से अनजान नहीं हैं. लेकिन डोंगरे जिला परियोजना समन्वयक का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है. जांच में ग्रामीणों की शिकायत सही पाए जाने पर दूसरे भवन में बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने कलेक्टर से स्कूल की दयनीय स्थिति को बताकर समस्या का हल निकालने की बात कही. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की सरकार आदिवासियों के विकास और उत्थान का दम नहीं भरती.
बरसात में स्कूल का जर्जर भवन हादसे को दे रहा है न्योता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति के पद पर बिठाया गया. लेकिन मध्य प्रदेश में आदिवासी बच्चों के साथ शासन का रवैया साफ नजर आ रहा है. सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है. योजनाओं को बनाकर आदिवासी समाज के उत्थान की बात की जाती है. लेकिन एक अदद स्कूल का भवन भी नहीं मुहैया कराया जा रहा है, जहां बच्चे सुरक्षित होकर पढ़ाई कर सकें. बिजासनी चौकी फालिया में स्कूल की छत जर्जर होने से अनहोनी की आशंका बनी हुई है.
MP Politics: दिल्ली में सीएम शिवराज सिंह चौहान और एमपी के सांसदों के बीच बैठक, जानिए क्या है मुद्दा?