Khargone News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में खरगोन हिंसा के बाद जिला प्रशासन की बुलडोजर कार्रवाई को लेकर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इन्ही में से एक सवाल दिव्यांग वसीम शेख को लेकर है जिसको लेकर सोशल मीडिया में तरह तरह की अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं. एक ट्वीट में दावा किया गया कि देखिये कैसे दोनों हाथों से विकलांग शख्स को पत्थरबाजी का आरोपी बनाया गया.
ऐसे ही कई वायरल हो रहे संदेशों का सच जानने के लिए हमनें खरगोन में जब इस व्यक्ति के साथ हुई घटना की पड़ताल कर सच्चाई जानी तो हम भी हैरान रह गए कि किस तरह एक व्यक्ति को लेकर झूठ फैलाया जाता है और जिसे हम बिना कुछ सोचे समझे सच मान लेते हैं.
वसीम खुद संशय में
खरगोन के दिव्यांग वसीम का वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय प्रशासन खुद वसीम के घर पहुंचा और लोगों तक सच्चाई पहुंच सके इसके लिए उन्होंने अपील भी जारी की. आरोप है कि खरगोन के दिव्यांग वसीम शेख की गुमटी पर बुलडोजर की करवाई की गई जबकि खुद वसीम इस बात को लेकर संशय में हैं.
वसीम ने क्या कहा
वसीम का कहना है कि मेरी गुमटी दंगाईयों ने तोड़ी या प्रशासन की अतिक्रमण कार्रवाई में टूटी इसकी जांच होना चाहिए. मेरी गुमटी के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों से सच्चाई का पता लगाया जा सकता है. वसीम ने बताया कि नगरपालिका से फौरी राहत के रूप में उन्हें ढाई हजार रुपया दिया गया है. वहीं नगरपालिका ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि शहर में शांति कायम होते ही उनके व्यवसाय को फिर से स्थापित करने में मदद की जाएगी.
घर के चक्कर लगाते नजर आया प्रशासन
इससे पहले वसीम के एक अन्य वायरल वीडिओ में जब उसने अपना दुख जाहिर करते हुए कहा था, 'मेरी गुमटी को जिला प्रशासन ने बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया है, जिसमें वह एक छोटा-सा बिजनेस करता था. मैं उस गुमटी में कैंडी बेचता था और अपने पांच लोगों के परिवार का गुजारा करता था. वसीम का वीडियो वायरल होने के बाद जब यह बात सबके सामने आई तो प्रशासनिक अधिकारी उनके घर के चक्कर लगाते नजर आए.
नगर पालिका सीएमओ पहुंचीं
बीती रात साढ़े 8 बजे नगर पालिका सीएमओ प्रियंका पटेल अपनी टीम के साथ वासीम के घर पहुंचीं और कहा हमनें तुम्हारी गुमटी नहीं तोड़ी है. उन्होंने 2500 रुपया दिया. दिव्यांग वसीम शेख ने कहा, 'मेरी गुमटी जिला प्रशासन या दंगाइयों में जिसने भी गिराई है, सीसीटीवी फुटेज देखकर उसका पता लगाएं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. मैं पिछले 8-10 साल से छोटी मोहन टॉकीज में गुमटी लगाकर कुछ न कुछ बेचकर अपना गुजारा कर रहा था.
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