Kishore Kumar Birth Anniversary: किशोर कुमार की वो अंतिम इच्छा, जो उनके जीते-जी पूरी न हो सकी
MP News: किशोर दा ने अपने पूरे करियर में 110 संगीतकारों के साथ काम किया और 2678 फिल्मों में गाने गाए. इसके अलावा उन्होंने करीब 88 फिल्मों में बतौर एक्टर भी काम किया था.
Bhopal News: गायक किशोर कुमार को गुजरे हुए आज पूरे 35 साल हो गए. किशोर दा तो इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन वह अपनी आवाज के दम पर अपने चाहने वालों के जेहन में आज भी जिंदा हैं. उनके 93वें जन्मदिन पर पर आइए जानते हैं किशोर दा से जुड़ी कुछ रोचक बातें...
मैं किशोर खंडवा वाला... ये किशोर कुमार का अपनी जमीन से लगाव ही था की वो अपने कार्यक्रम की शुरुआत में अपना परिचय इसी तरह देते थे. यही नहीं कई फिल्मों में भी उन्होंने अपने निवास स्थान खंडवा का जिक्र किया. वे अपने घर का पता भी बताते थे. एक फिल्म में उन्होंने कहा था कि दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जाएंगे.
किशोर ने कितनी फिल्मों में गाए गाने
किशोर दा ने 110 संगीतकारों के साथ काम किया और 2678 फिल्मों में गाने गाए. उन्होंने करीब 88 फिल्मों में बतौर एक्टर भी काम किया था. प्लेबैक सिंगर के तौर पर उन्हें 8 फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले थे. यही नहीं फिल्म में उनके योगदान को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने साल 1997 से उन्हीं के नाम पर 'किशोर कुमार अवॉर्ड' की शुरूआत की थी. किशोर दा के गानों की दीवानगी का आलम आज भी ये है कि आज की फिल्मों में उनके गानों को रीमेक किया जाता है. अपने करियर की शुरुआत में किशोर ने अपनी गायकी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन बाद में उन्होंने अपनी गायकी से ऐसी अमिट छाप छोड़ी की सभी उनके दीवाने हो गए.
कहां है किशोर कुमार का घर
खंडवा में मौजूद किशोर कुमार का पैतृक घर सालों से वीरान पड़ा है. पिछले 45 साल से एक चौकीदार इस मकान की देखरेख कर रहा है. किशोर के प्रशंसक लगातार इस मकान को संग्रहालय बनाने की मांग कर रहे हैं. खंडवा के लोग भी यही चाहते हैं, उनका कहना है कि किशोर खंडवा के गौरव हैं. सरकार को उनके मकान को संग्रहालय बनाने की पहल करनी चाहिए. यह मकान अब खंडहर हो चला है और ज्यादा दिनों तक खड़ा नहीं रह सकता है. जिस दिन यह मकान गिरेगा, उसी दिन लाखों संगीत प्रेमियों का दिल भी टूट जाएगा.
आभास कुमार गांगुली से किशोर कुमार बनने का सफर
मध्य प्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त 1929 को एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में अधिवक्ता कुंजी लाल गांगुली के घर जब इस बालक का जन्म हुआ तो कौन जानता था कि कुंजी लाल का परिवार इसी बालक के नाम से जाना जाएगा. कुंजीलाल ने इस बच्चे का नाम आभास कुमार गांगुली रखा. आभास केएल सहगल के गानों से खासा प्रभावित थे. उन्हीं की तरह बनना चाहते थे. केएल सहगल से मिलने के लिए किशोर 18 साल की उम्र में मुंबई पहुंचे, लेकिन सहगल से मिलने की उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकी. उस समय तक उनके बड़े भाई अशोक कुमार बतौर अभिनेता इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना चुके थे. अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर एक्टर बने, लेकिन किशोर को संगीत का शौक था, उन्हें गायक बनने की चाह थी.
क्या किशोर कुमार ने संगीत की शिक्षा ली थी
कहते हैं कि किशोर ने कभी संगीत की तालीम नहीं ली, उनकी आवाज उन्हें ईश्वर से मिला वरदान था. अशोक कुमार शुरुआत में एक्टिंग करना नहीं चाहते थे लेकिन अपनी इच्छा के विपरीत उन्होंने इसलिए एक्टिंग करना जारी रखा ताकि किशोर को काम मिलता रहे. अशोक जिस फिल्म में काम करते थे किशोर को उस फिल्म में गाने का मौका मिल जाया करता था. साल 1948 में उन्होंने पहली बार फिल्म 'जिद्दी' में देवानंद के लिए गाना गाया था. इसके बाद किशोर कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1969 में आई फिल्म आराधना के जरिए किशोर कुमार गायकी की दुनिया के बेताज बादशाह बने.
किशोर कुमार एक्टिंग में भी हाथ आजमाना चाहते थे. उन्होंने 1951 की फिल्म आंदोलन से बतौर मुख्य अभिनेता अपने करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने फिल्म 'नौकरी', 'बाप से बाप', 'चलती का नाम गाड़ी', 'दिल्ली का ठग', 'बेवकूफ', 'झुमरू', 'पड़ोसन' जैसी कई फिल्मों में काम किया. हालांकि उन्हें असल पहचान गायक के तौर पर ही मिली.
खंडवा लौटने की इच्छा, इच्छा ही रह गई
किशोर कुमार का जब मुंबई से दिल भर गया तो उनका मन वापस खंडवा में बसने का हुआ, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. वह मायानगरी से लौट नहीं पाए और उससे पहले ही दुनिया छोड़ गए. किशोर दा की आखिरी इच्छा के अनुसार उन्हें खंडवा लाया गया और यहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया.
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