Hoshangabad News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में उज्जैन (Ujjain) के महाकाल और मंदसौर के ओंकारेश्वर (Omkareshwar) मंदिर के बाद महाशिवरात्रि का सबसे बड़ा और अनोखा मेला पचमढ़ी (Pachmarhi) के चौरागढ़ मंदिर (Chauragarh Temple) में भरता है. मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र (Maharashtra) और गुजरात (Gujarat) से बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं. वे बेहद कठिन सीढियां चढ़कर महादेव के दर्शन करते हैं.
महामेला का होता है आयोजन
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में हिल स्टेशन पचमढ़ी की खूबसूरत घाटियों और जंगलों के बीच चौरागढ़ के शिखर पर स्थित भगवान भोलेनाथ का चौरागढ़ मंदिर है. यह पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर में से एक है. चौरागढ़ मंदिर लगभग 4200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है, जिस वजह से यहां से आसपास के जंगलों, घाटियों और सूर्योदय का मनमोहक दृश्य भी देखा जा सकता है. इसी वजह से अक्सर पचमढ़ी की यात्रा पर आने वाले पर्यटक यहां घूमने आते हैं. इसके साथ ही महाशिवरात्रि के दौरान यहां महामेला और महाअभिषेक का आयोजन किया जाता है. जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं. इसके पीछे भी एक मान्यता जुडी हुई है. मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को बेहद कठिन लगभग 1300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.
क्या है किवदंतिया
चौरागढ़ मंदिर का इतिहास कई युगों पुराना है. जिससे दो किवदंतिया जुडी हुई हैं. एक प्रचलित कथा के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव जी ने भस्मासुर से बचने के लिए इन पहाड़ियों में शरण ली थी. एक अन्य किवदंती के अनुसार माना जाता है इस पहाड़ी पर चोरा बाबा ने कई वर्षों तक तपस्या की थी. जिसके बाद भगवान शिव उन्हें दर्शन दिए और कहा कि इस पहाड़ी को आज से चोरागढ़ के नाम से जाना जायेगा. तभी से इस पहाड़ी को चोरागढ़ के नाम से जाना गया और भोलेनाथ के इस मंदिर का निर्माण किया गया.
क्या परम्परा
पचमढ़ी के प्रसिद्ध चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल का काफी महत्व है. जिस वजह हर साल हजारों भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए त्रिशूल चढाते हैं. दरअसल, बात उस समय की है जब यहां चोरा बाबा ने तपस्या की थी. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और अपना त्रिशूल इसी स्थान पर छोड़ कर चले गये थे. ठीक उसी समय के बाद से चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढाने की परम्परा शुरू हुई थी.
क्या है मान्यता
पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर और आस्था केंद्र में से एक चौरागढ़ मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि या भगवान शिव के जंमोत्सव को बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दौरान मंदिर में एक विशाल त्रिशूल भी चढ़ाया जाता है. जिसे श्रद्धालु अपने कंधो पर उठाकर मंदिर तक ले जाते है. माना जाता है महाशिवरात्रि मेला में यहां हर साल लगभग एक लाख श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से इस उत्सव में हिस्सा लेने के लिए आते हैं.
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