History of Kamalapati: जानिए कौन थीं कमलापति जिनके नाम से अब जाना जाएगा भोपाल का हबीबगंज रेलवे स्टेशन
हाल ही में भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर कमलापति रखने का फैसला लिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करेंगे.
History of Kamalapati: भोपाल में देश का पहला वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन हबीबगंज नए रूप में बनकर तैयार है. एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं से लैस ये रेलवे स्टेशन अब हबीबगंज की जगह अंतिम गोंड शासक रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा. इस स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखने का फैसला उनकी वीरता और पराक्रम को देखते हुए लिया गया है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल के इस रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करेंगे. लेकिन रानी कमलापति कौन थीं शायद इसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं. आज हम आपको इन्हीं के बारे में बताने जा रहे हैं.
कौन थीं कमलापति?
रानी कमलापति 18वीं शताब्दी की गोंड रानी थीं. उस वक्त गिन्नौरगढ़ के मुखिया थे निजाम शाह, जिनकी सात पत्नियां थीं. खूबसूरत और बहादुर रानी कमलापति इन्हीं में से एक थीं और वह राजा को सबसे ज्यादा प्रिय थीं. उस दौरान बाड़ी पर निजाम शाह के भतीजे आलम शाह का शासन था. आलम की नजर निजाम शाह की दौलत और संपत्ति पर थी. कमलापति की खूबसूरती से प्रभावित होकर उसने रानी से प्रेम का इजहार भी किया था, लेकिन रानी ने उसे ठुकरा दिया.
बेटे को भोपाल ले आईं थी कमलापति
अपने चाचा निजाम शाह की हत्या के लिए भतीजा आलम शाह लगातार षड्यंत्र रचता रहता था. एक बार मौका पाकर उसने राजा के खाने में जहर मिलवा कर उसकी हत्या कर दी. उससे रानी और उनके बेटे को भी खतरा था. ऐसे में रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह को गिन्नौरगढ़ से भोपाल स्थित रानी कमलापति महल ले आईं. रानी कमलापति अपने पति की मौत का बदला लेना चाहती थीं. लेकिन दिक्कत ये थी कि उनके पास न तो फौज थी और न ही पैसे थे.
दोस्त मोहम्मद से मांगी मदद
इतिहासकार प्रहलाद ठाकुर और वरिष्ठ पत्रकार पुरुषोत्तम कुईया के मुताबिक रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी. वह मदद को तैयार तो हो गया, लेकिन इसके एवज में उसने रानी से एक लाख रुपये की मांग कर दी. रानी कमलापति को बदला लेना था, सो पैसे न रहते हुए भी उन्होंने हामी भर दी. दोस्त मोहम्मद खान कभी मुगल सेना का हिस्सा हुआ करता था. लूटी हुई संपत्तियों के हिसाब में गड़बड़ी के बाद उसे सेना से निकाल दिया गया था. फिर उसने भोपाल के पास जगदीशपुर में अपनी सत्ता स्थापित कर ली थी.
पति की मौत का बदला लिया
कमलापति के साथ दोस्त मोहम्मद ने निजाम शाह के भतीजे बाड़ी के राजा आलम शाह पर हमला कर उसकी हत्या कर दी और इस तरह कमलापति ने अपने पति की हत्या का बदला ले लिया. हालांकि करार के मुताबिक, रानी के पास दोस्त मोहम्मद को देने के लिए एक लाख रुपये नहीं थे. उस वक्त एक लाख रुपये बहुत होते थे. ऐसे में रानी ने भोपाल का एक हिस्सा उसे दे दिया. लेकिन रानी कमलापति के बेटे नवल शाह को यह रास नहीं आया. ऐसे में नवल शाह और दोस्त मोहम्मद के बीच लड़ाई हो गई. बताया जाता है कि दोस्त मोहम्मद ने नवल शाह को धोखे से जहर देकर मार दिया.
सीहोर से 100 कीमी दूर है कमलापति का महल
सीहोर जिले से 100 किलोमीटर दूर गिल्लौरगढ़ के किले जहां रानी कमलापति का महल है. वन विभाग के डिप्टी रेंजर परते ने बताया कि गिल्लौरगढ़ किला देलवाड़ी सेंचुरी मैं आता है. यहां टाइगर, भालू हिरण समेत कई जानवर भी रहते हैं. इनकी सुरक्षा भी जरुरी है पर्यटक आते हैं. महल को घूमने और जगंल को तो गाइड साथ जाता है लेकिन जल्द ही पर्यटन विभाग और वन विभाग इस महल तक पहुंच मार्ग और जीर्णोद्धार किया जाएगा.
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