ABP News Operation RG Kar': बीते एक पखवाड़े से भी अधिक कोलकाता का आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल सुर्खियों में है. महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया है. एबीपी न्यूज के स्टिंग ऑपरेशन “Operation RG kar” में चौंकाने वाले खुलासे हुए थे. मध्य प्रदेश में जनप्रतिनिधियों ने एबीपी न्यूज के स्टिंग ऑपरेशन को देखा. देखने वालों में मुख्यमंत्री मोहन यादव,  प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा शामिल रहे. उन्होंने स्टिंग ऑपरेशन में शामिल एबीपी न्यूज की टीम का धन्यवाद किया.


बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि घटना से मानवता शर्मसार है. उम्मीद करता हूं कि देश का प्रशासनिक हलका जागेगा. उन्होंने कहा कि ममता सरकार से इंसाफ नहीं मिला. अदालत ने तेजी दिखाकर अच्छा काम किया है. बीजेपी विधायक ने कहा कि एबीपी न्यूज के स्टिंग ऑपरेशन में सरकार और मेडिकल भ्रष्टाचार का गठजोड़ दिखाया गया है. लड़ाई में एबीपी न्यूज का साथ देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. 




बता दें कि एबीपी न्यूज के स्टिंग ऑपरेशन की पहली किरदार ने चौंकाने वाले खुलासे किये. डॉक्टर रीना दास पोस्टमॉर्टम टीम में शामिल थीं. उन्होंने खुफिया कैमरे पर बताया कि पुलिस के साथ नेता और कई लोग भी आए थे. बाहर का मेडिकल स्टॉफ, वकील भी बुलाया गया था. दावा ये भी है कि घटना के बाद प्रिंसिपल ने देबाशीष से सबसे ज्यादा बार बात की. बहुत सारे प्रभावशाली लोगों की मीटिंग हुई थी और मीटिंग के बाद सुसाइड का ऐलान किया गया. 


पूर्व डॉक्टर सोमनाथ दास का खुलासा 
एबीपी न्यूज के स्टिंग ऑपरेशन में पूर्व डॉक्टर सोमनाथ दास का भी खुलासा हुआ. पोस्टमॉर्टम के लिए आई डेडबॉडी का गलत इस्तेमाल होता था. चुंनिदा कंपनियों को अस्पताल के सारे ठेके मिलते थे. संदीप घोष के खिलाफ शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई थी. शिकायत करने के बाद डॉक्टर का ही तबादला हो गया. स्टिंग ऑपरेशन में पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट का बड़ा खुलासा हुआ. संदीप घोष को मुख्यमंत्री प्रमोट कर रही हैं. माफिया की तरह  संदीप घोष भ्रष्ट आदमी हैं. डेड बॉडी बेचते थे, किसी को पता नहीं था. घोष के पास पैसा, पावर और बहुत प्रभाव है. उनको सस्पेंड नहीं किया गया. 


मेडिकल कॉलेज के पूर्व छात्र भी बोले
आरजी कर में हमेशा से सत्ताधारी दल का दखल रहता है. प्रिंसिपल संदीप घोष भ्रष्टाचार कर रहे थे. परीक्षा पास करवाने के लिए वसूली होती थी. आवाज उठाने वाले को फेल कर दिया जाता था. ट्रेनिंग के बावजूद सर्टिफिकेट नहीं दिये जाते थे. हॉस्टल के छात्रों में ज्यादा डर रहता है. कॉलेज में टीएमसी स्टूडेंट विंग की यूनिट है. स्टूडेंट्स के बीच प्रिंसिपल की लॉबी काम करती है. प्रिंसिपल के खिलाफ बोलने पर धमकी दी जाती थी. 
वर्कशॉप के लिए दी जाती थी डेड बॉडी
एबीपी न्यूज के स्टिंग में सबसे बड़ा खुलासा हुआ कि मेडिकल कॉलेज के डॉ. देबाशीष सोम डेड बॉडी देते थे. 2023 की जनवरी में ईएनटी वर्कशॉप के लिए 5 डेड बॉडी दी गईं. वर्कशॉप के बाद शवों का पोस्टमार्टम कराया गया. परिवारों को वर्कशॉप के लिए डेड बॉडी देने की जानकारी नहीं दी जाती थी.  


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