Rudraksh Mahotsav 2023: चुनावी साल में लगता है मध्य प्रदेश की सरकार ने सीहोर जिले से मुंह फेर लिया है. छोटी-छोटी घटनाओं और किन्हीं कारणों से मौत होने पर श्रद्धांजलि देने वाली मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार सीहोर में हुई मौतों के मामले में मौन बनी है. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित सरकार के किसी भी मंत्री-जनप्रतिनिधि ने ट्वीट कर इन मृतकों को श्रद्धांजलि देना भी मुनासिब नहीं समझा है.
दरअसल, राजधानी भोपाल के नजदीकी जिले सीहोर जिला मुख्यालय पर सात दिवसीय रुद्राक्ष वितरण महोत्सव व शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया था. सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम पर 16 फरवरी से 22 फरवरी तक चला आयोजन शुरुआत से ही अव्यवस्थाओं की चपेट में रहा. यहां आने वाले श्रद्धालु जाम में फंसे तो वहीं उन्हें पीने का पानी भी नसीब नहीं हो सका. महंगे दामों पर पानी खरीदकर श्रद्धालु अपनी प्यास बुझाने के लिए मजबूर हुए. जबकि कुबेरेश्वर धाम पर पर्याप्त छांव के इंतजाम नहीं होने की वजह से घंटों धूप में खड़े रहकर श्रद्धालुओं को रुद्राक्ष की कतार में खड़े रहना पड़ा था. नतीजतन धूप की वजह से महिलाओं श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई थी.
सात दिन में आठ की मौत
बता दें कि सात दिवसीय आयोजन में दो पुलिसकर्मियों की भी हार्टअटैक आ जाने से मौत हो गई थी. 20 फरवरी को इंदौर के हेड कांस्टेबल की मौत हो गई थी. इंदौर के खजराना थाने से ड्यूटी करने सीहोर कुबेरेश्वर धाम आए प्रधान आरक्षक श्याम मीणा की मौत हार्ट अटैक आ जाने से हो गई. इसी तरह 22 फरवरी को भोपाल के अजाक थाना में पदस्थ 59 वर्षीय हेड कांस्टेबल समर सिंह भदौरिया भी सीहोर के कुबेरेश्वर धाम पर ड्यूटी देने आए थे, वे पीजी कॉलेज में रुके थे. हार्टअटैक आने से उनकी भी मौत हो गई थी, जबकि आयोजन के दूसरे ही दिन 17 फरवरी को एक तीन वर्षीय बालक की मौत हो गई थी. इसके अतिरिक्त कुबेरेश्वर धाम से रवाना हुई दो महिलाओं की सडक़ हादसे में मौत हो चुकी है. इधर कुबेरेश्वर धाम पर ही तबीयत खराब होने से तीन और महिलाओं की मौत हुई है. कुल मिलाकर पंडित प्रदीप मिश्रा के सात दिवसीय आयोजन आठ लोगों की मौत हुई.
मौतों पर सरकार का भेदभाव
बता दें कि बीते दिनों सतना में एक सडक हादसा हो गया था, इस हादसे में 14 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी. यह बसें देश के गृहमंत्री अमित शाह के आयोजन से शामिल होकर लौट रही थी कि हादसा हो गया. इनकी मौत पर प्रदेश सरकार ने मृतक के परिजनों को सरकारी नौकरी और दस-दस लाख रुपए देने की घोषणा की थी. सरकार की इस घोषणा के बाद चर्चा चल निकली है कि मौतों पर भी भेदभाव. सीहोर में हुई मौतों के मामले में बीजेपी के जनप्रतिनिधियों ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि देना तक मुनासिब नहीं समझा.
पंडित मिश्रा ने ही दिया आमंत्रण
16 फरवरी से शुरु हुई सात दिवसीय कथा आयोजन को लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा ने ही देश भर में आयोजित कथा के दौरान श्रद्धालुओं को सीहोर के कुबेरेश्वर आने का निमंत्रण दिया था. पंडित मिश्रा के निमंत्रण पर लाखों लोग पहले ही दिन सीहोर आ गए थे. बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं की वजह से यहां व्यवस्थाएं गड़बड़ा गई थी. श्रद्धालु खाने, पीने को तरस गए. श्रद्धालुओं के रहने के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने की वजह से लाखों श्रद्धालु खुले आसमान के नीचे ही रात गुजारने को मजबूर हुए. छांव की व्यवस्था नहीं होने की वजह से श्रद्धालु साड़ी की झोपड़ी बनाकर धूप से बचने का प्रयास करते देखे गए थे.
ये भी पढ़ें
Ladli Bahana Yojana: मुख्यमंत्री ने महिलाओं की पाती पर लिखा- 'भाई शिवराज हर महीने 1000 रुपये भेजेगा'