Madhya Pradesh News: कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) का वह समय भी था, जब उज्जैन (Ujjain) में 200 लोगों के बीच उन्होंने कथा सुनाई थी. उनका जब चल समारोह निकला था तो उसमें 40 से 50 श्रद्धालु ही शामिल हुए थे. यह घटनाक्रम ज्यादा पुराना नहीं बल्कि 4 साल पहले का है. पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा में उमड़ रही भीड़ को देखकर उज्जैन के लोग हतप्रभ हैं.


मध्य प्रदेश के सबसे बड़े कथाकारों में शामिल पंडित प्रदीप मिश्रा ने उज्जैन में कई बार कथाएं सुनाईं, लेकिन इस बार जब उनकी कथा हुई तो उसका स्वरूप भी बदला हुआ नजर आया. उज्जैन के गुदरी चुराए इलाके में रहने वाले श्रवण शर्मा के मुताबिक साल 2018 में उज्जैन की एक धर्मशाला में पंडित प्रदीप मिश्रा ने "नानी बाई का मायरा" धार्मिक आयोजन किया था. उस समय कथा में 200 श्रद्धालु लगातार पहुंचे थे. इसके अलावा जब रामघाट से चल समारोह निकला तो उसका कुछ स्थानों पर स्वागत किया गया. गुदरी चौराहे इलाके में जब उनका चल समारोह निकला तो उसमें 40 से 50 श्रद्धालु मौजूद थे. 


पंडित राजेश त्रिवेदी के मुताबिक कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का उज्जैन से गहरा नाता रहा है. वह पहले कई बार उज्जैन में कथा कर चुके हैं. शिव महापुराण का पाठ भी उन्होंने उज्जैन में किया है. उनका कहना है कि पंडित प्रदीप मिश्रा की उज्जैन में पांचवी बार कथा हो रही है. अब तो पूरा नजारा ही बदल चुका है. पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा में एक से डेढ़ लाख लोग रोज शामिल हो रहे हैं. इसके अलावा वीआईपी का भी तांता लगा हुआ है. पंडित प्रदीप मिश्रा से मिलने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव सहित कई वीआईपी भी पहुंच चुके हैं.






कोरोना काल में मिली प्रसिद्धि
पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा पुराणों में वर्णित टोटके बताने का दावा किया जाता है. हालांकि कई विद्वान इसे खारिज कर चुके हैं, लेकिन उनके द्वारा महिला संबंधी सास-बहू, देवरानी-जेठानी, ननंद-भोजाई और अन्य रिश्तों का वर्णन कथाओं में किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि कोरोना काल के दौरान उनके द्वारा लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से कई प्रमुख टोटके लोगों के बीच बताए गए, जो काफी लोकप्रिय हुए जिसके बाद उनकी प्रसिद्धि लगातार बढ़ गई. वर्तमान में उनके यूट्यूब पर 45 लाख और फेसबुक पर 16 लाख फॉलोवर्स हैं.


प्रदीप मिश्रा के जीवन पर एक नजर
पंडित प्रदीप मिश्रा का जन्म मध्य प्रदेश के सीहोर में 1980 में हुआ था. उन्होंने ग्रेजुएशन किया है. उनके पिता का नाम रामेश्वर दलाल मिश्रा है. उनके दो भाई हैं जिनके नाम दीपक मिश्रा और विनय मिश्रा हैं. पंडित प्रदीप मिश्रा विवाहित हैं और वे निजी स्कूल में शिक्षक के पद पर भी कार्य कर चुके हैं. इसके साथ ही उन्हें घरों में कर्मकांड पद्धति के तहत पूजा, कथावाचन और महिलाओं संबंधी व्रत पूजा के किस्से सुनाने में पारंगत है. पंडित प्रदीप मिश्रा शिव की आराधना की बात कहते हैं, मगर वे खुद वैष्णव मत का समर्थन भी करते हैं.  इसका सबसे बड़ा प्रमाण उनके ललाट पर वैष्णव तिलक देखा जा सकता है.


इन टोटकों के कारण मिली ख्याति
पंडित प्रदीप मिश्रा ने जब अपनी कथाओं में अलग-अलग प्रकार के टोटके के माध्यम से लोगों को सफलता मिलने का दावा किया तो उनकी प्रसिद्धि बढ़ती चली गई. पंडित प्रदीप मिश्रा ने सीहोर के पास कुबेरेश्वर धाम की स्थापना की. यहां पर गौशाला, भोजनशाला और अन्य आयोजन होते हैं. पंडित प्रदीप मिश्रा भगवान शिव पर एक लोटा जल, बेलपत्र और अलग-अलग प्रकार से पूजन पद्धति बताते हैं जो कि श्रद्धालुओं के बीच काफी लोकप्रिय है. इसके अलावा वह ओम नमः शिवाय के साथ श्री शिवाय नमस्तुभयम का पाठ भी करने को कहते हैं.  प्रदीप मिश्रा ने जब कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन किया था, उस समय भोपाल-देवास रोड पर कई दिनों तक जाम लगा रहा. पंडित प्रदीप मिश्रा को शिवराज सरकार के आग्रह पर इस महोत्सव को बीच में ही समाप्त करना पड़ा. 


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