Bhopal News. चीता प्रोजेक्ट (Cheetah Project) विश्व का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जहां एक बड़े मांसाहारी जीव को किसी दूसरे महाद्वीप में बसाने की कोशिश हो रही है. लेकिन अब ये प्रोजेक्ट सवालों के घेरे में आ चुका है क्योंकि सिर्फ आठ महीने में तीन चीतों की मौत हुई है. इसलिए चीता प्रोजेक्ट के अधिकारियों पर सवाल खड़े होना लाजमी हैं. पहले दो चीतों की मौत की वजह बीमारी बताई जा रही है, जबकि 9 मई को एक मादा चीता की मेटिंग के दौरान लड़ाई होनेे से मौत हो गई. मादा चीता का नाम दक्षा था.
मप्र के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव एवं मुख्य वन्य जीव संरक्षक जसवीर सिंह चौहान हैं. इनके अनुसार ऐसा हो सकता है कि मेटिंग के दौरान हिंसा के कारण मादा चीता दक्षा की मौत हुई हो. चीता कंजर्वेशन फंड की रिपोर्ट के अनुसार वन्य प्राणी विशेषज्ञ बताते हैं कि मेटिंग के दौरान अक्सर नर चीते हिंसक हो जाते हैं, इस दौरान वे अपनी साथी मादा चीता पर गंभीर हमला कर देते हैं. कूनो नेशनल पार्क ( Kuno National Park) में हुई मादा दक्षा की भी मौत की वजह यही है.
चीता के मेटिंग पीरियड का अनुमान लगाना मुश्किल
वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार मादा चीता के मेटिंग पीरियड के बारे में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है. यह अनियमित होता है. चीता के आसपास के वातावरण पर मेटिंग की परिस्थिति निर्भर होती है. वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार चीतों का मेटिंग पीरियड 14 दिन तक चलता है. इस मेटिंग पीरियड के दौरान मादा चीता कई नर चीतों के संपर्क में आती है और मेटिंग कर सकती है. एक से अधिक चीतों के संपर्क में होने की वजह से विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है. कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता दक्षा पर हुए हमले के पीछे यही कारण है. वह चीता मेटिंग के लिए तैयार नहीं हो रही थी इसलिए दक्षा का संघर्ष नर चीता से हुआ और वो घायल हो गई.
दक्षा को दो नर चीतों से मिलाने का था प्लान
बता दें कि कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने मादा चीता दक्षा को नर चीता अग्नि और वायु नाम के दो चीते से मिलाने का प्लान बनाया था. नर-मादा चीता के मिलन को लेकर 30 अप्रैल को कूनो नेशनल पार्क में एक उच्च स्तरीय बैठक का भी आयोजन किया गया था. बैैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के महानिरीक्षक डॉ. अमित मल्लिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान के डॉ. कमर कुरैशी, दक्षिण अफ्रीका से आए प्रोफेसर एड्रियन टॉड्रिक और चीता मेटा पापुलेशन इनीशिएटिव के विसेंट वेन डर मार्व शामिल हुए थे. इन सभी ने निर्णय लिया था कि दक्षिण अफ्रीका से आए नर चीता कोयलिशन अग्नि और वायु को मादा दक्षा के साथ मेटिंग के लिए मिलाया जायेगा.
दोनों बाड़े के बीच खोल दिया था गेट
नर-मादा चीता के लिए बनाए गए मेटिंग प्लान के अनुसार 7 नंबर बाड़ा और एक नंबर बाड़ा के बीच बने गेट को 1 मई को खोल दिया गया था. 6 मई को सात नंबर बाड़े से निकलकर कोयलिशन 1 नंबर बाड़ा में पहुंचा. इसी दौरान कोयलिशन और दक्षा के बीच मेटिंग की गतिविधि हुई. इसी दौरान नर चीता हिंसक हो गया और अपने साथी मादा दक्षा पर हमला कर दिया. इसी हमले में दक्षा बुरी तरह घायल हो गई. बहरहाल इतनी सतर्कता के बाद भी आठ महीनों में तीन चीतों की मौत हो जाना इस प्रोजेक्ट में लगे अफसरों की सक्रियता पर सवाल उठा रहा है.
पीएम मोदी ने छोड़ा था चीता
बता दें प्रोजेक्ट चीता के तहत पहली बार 17 नवंबर 2020 को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो में छोड़ा था. इनमें 5 मादा और 3 नर चीते थे. वहीं दूसरी चरण में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए, जिसमें 5 मादा और 7 नर थे. यहां कुल 20 चीते छोड़े गए थे. लेकिन कूनो नेशनल पार्क में अब सिर्फ 17 चीते ही बचे हैं. भारत व मध्य प्रदेश की सरकार इस चीता प्रोजेक्ट को लेकर काफी गंभीर है.
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