Kuno National Park: अब तक बीमारी और आपसी टकराव के संकट से जूझ रहे कूनो नेशनल पार्क में मौजूद चीतों के सामने अब भोजन का संकट आन पड़ा है. चीतों को भोजन के लिए लंबी दूरी तय न करनी पड़े, इसके लिए नेशनल पार्क में प्रति वर्ग किलोमीटर 27 चीतलों की जरूरत है. जबकि प्रति वर्ग किलोमीटर में महज 18 ही चीतल हैं. इसे लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है. इधर कूनो प्रबंधन द्वारा चीतों को खुले जंगल से बाड़े में लाने काम जारी है. अब तक 7 चीतों को खुले जंगल से बाड़े में लाया जा चुका है.
कूनो क्षेत्र में जनवरी 2023 में हुई वन्यप्राणियों की गणना में प्रति वर्ग किलोमीटर 18 चीतल ही पाए गए, जबकि 2021 में यहां चीतलों की संख्या में प्रति वर्गकिलोमीटर 23 थी. विशेषज्ञों का कहना है कि कूनो नेशनल पार्क में प्रति वर्ग किलोमीटर 27 चीतल होना चाहिए. कूनो नेशनल पार्क में चीतलों की कमी को लेकर भारतीय वन्यजीव संस्थान देहारादूर के विशेषज्ञों ने इसे लेकर चिंता जताई है. विशेषज्ञों के अनुसार कूनो नेशनल पार्क में यदि प्रति वर्ग किलोमीटर महज 18 ही चीतल मौजूद रहेंगे तो चीतों को भोजन के लिए लंबी दूरी तय करना होगी. अब तक कूनो नेशनल पार्क से जो चीते बाहर जा रहे थे, वे भोजन की तलाश में ही जा रहे थे.
अब तक 7 चीतों को लाया गया बाड़े में
कूनो नेशनल प्रबंधन द्वारा 7 दिन में 7 चीतों को खुले जंगल से बाड़े में लाया गया है. इन चीतों में पवन, गौरव, शौर्य, आशा, धीरा, गामिनी को ट्रेंकुलाइज कर बाड़े में लाया जा चुका था, एक दिन पहले ही चीता निर्वा को भी ट्रैंकुलाइज कर बाड़े में लाया गया है.
हटाए गए रेडियो कॉलर
विशेषज्ञों की जांच के अनुसार कॉलर आईडी के इंफेक्शन की वजह से चीतों की मौत हो रही थी, जिससे विशेषज्ञों की सलाह के बाद कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन चीतों के गले से रेडियो कॉलर हटा रहा है. अब तक 7 चीतों के गले से कॉलर आईडी भी हटाए जा चुके हैं. जंगल में मौजूद शेष 4 चीतों को भी जल्द ही बाड़े में लाया जा रहा है.
चीतों को जो कॉलर आईडी लगाए गए थे वे टाइगर के लिए फिट हैं, लेकिन ये कॉलर आईडी चीतों के लिए अनफिट साबित हुए थे. तीन चीतों में इन्फेक्शन की पुष्टि भी हुई थी. इसके बाद इन कॉलर आईडी को हटाने का निर्णय लिया गया था.
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