Kuno Cheetah Death: कूनो में पेट्रोलिंग बढ़ाने का निर्णय देश में एक बार फिर चीता बसाने की योजना पर ग्रहण लगता दिख रहा है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में चीतों की लगातार मौतों ने विशेषज्ञों को भी चिंता में डाल दिया है. अभी तक यहां 8 चीतों की मौत हो चुकी है. चीता स्टीयरिंग कमेटी के चेयरमैन डॉ. राजेश गोपाल ने कहा कि वेटरनरी डॉक्टरों की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों मृत चीते की गर्दन पर रेडियो कॉलर के कारण घाव हुआ था.


उन्होंने कहा कि इससे हुए इन्फेक्शन के कारण ही चीते की मौत हुई. इस खबर के बाद पार्क प्रबंधन ज्यादा चिंतित है, क्योंकि 15 जीवित चीतों के गले में भी रेडियो कॉलर लगी है. इन चीतों को भी इन्फेक्शन होने का खतरा बना हुआ है. बताया जा रहा है कि पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टरों को चीते तेजस की त्वचा पर किसी दूसरे जानवर के हमले या आपसी संघर्ष के निशान नहीं मिले हैं. चीते तेजस और सूरज की मौत के बाद पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और दक्षिण अफ्रीकी एक्सपर्ट से हुई बातचीत के बाद चीता प्रोजेक्ट से जुड़े अफसर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. उनका मानना है कि दोनों चीता सेप्टीसीमिया के शिकार हुए हैं. 


इस वजह से हो रही चीतों की मौत
यह एक तरह का ब्लड इन्फेक्शन है. इसमें खून में जहर बनने लगता है. कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीकी चीते सूरज की मौत की वजह रेडियो कॉलर मानी जा रही है. मॉनसून में लगातार नमी और घाव सूख नहीं पाने से उसमें कीड़े लग गए थे. वहीं केंद्रीय वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने शनिवार को भोपाल में कहा ''हम विशेषज्ञों के संपर्क में हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी शामिल हैं. हमारी टीम वहां का दौरा करेगी. चीते कूनो नेशनल पार्क में ही रहेंगे. मुझे उम्मीद है कि परियोजना सफल होगी." 






कूनो में पेट्रोलिंग बढ़ाने का निर्णय
बता दें कि शुक्रवार शाम को चीता स्टीयरिंग कमेटी की वर्चुअल बैठक भी हुई. इसमें कूनो में पेट्रोलिंग बढ़ाने का निर्णय लिया गया. बैठक में पार्क के 60 किलोमीटर के दायरे के हर गांव में कंट्रोल रूम बनाने की जरूरत बताई गई, ताकि कंट्रोल रूम में गांव का कोई भी आदमी चीतों के संबंध में कोई भी जानकारी दे सके. वहीं शनिवार को पार्क प्रबंधन ने आपात बैठक कर सभी चीतों की मॉनिटरिंग टीम को दूरबीन दी हैं.


साथ ही निर्देश दिए हैं कि इनमें कोई भी इन्फेक्शन दिखे दे तो तत्काल डॉक्टर्स को बताएं. डब्ल्यूआईआई के सदस्यों को अंदर के चीतों के साथ ही बाहर के चीतों पर भी नजर रखने और इस तरह के इन्फेक्शन पर जानकारी देने के लिए कहा गया है. साथ ही तय किया गया है कि सभी चीतों का परीक्षण किया जाए. जिनमें इन्फेक्शन हो, उन्हें इंजेक्शन दें.


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