Kuno National Park: मानसून से पहले कूनो के खुले जंगल में छोड़े जाएंगे 5 और चीते, जानें- क्या है प्लानिंग?
Kuno National Park News: जून के अंत तक साउथ अफ्रीका से लाए गए दो नर और तीन मादा चीतों को सुरक्षित बाड़े से बाहर निकाल कर खुले जंगल में छोड़ने की तैयारी की गई है.
Madhya Pradesh News: भारत में चीता के नए बसेरे कूनो नेशनल पार्क से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. मध्यप्रदेश का वन्यजीव प्राधिकरण श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में पांच और चीतों को बाड़े से बाहर खुले जंगल मे छोड़ने को तैयार है. जून में मानसून की बारिश शुरू होने से पहले इन्हें छोड़ दिया जाएगा. बता दें कि नामीबिया से कूनो लाये गए एक चीता की पूर्व में मौत हो चुकी है.
कूनो नेशनल पार्क के सूत्रों ने बताया कि जून के अंत तक साउथ अफ्रीका से लाए गए दो नर और तीन मादा चीतों को सुरक्षित बाड़े से बाहर निकाल कर खुले जंगल में छोड़ने की तैयारी की गई है. 70 साल पहले विलुप्त हो चुके चीतों को भारत में आबाद करने के प्रयासों के तहत मध्यप्रदेश वन्यजीव प्राधिकरण मध्य प्रदेश कूनो नेशनल पार्क के मुक्त घूमने वाले क्षेत्रों में पांच और चीते को सेफ एनक्लोजर से छोड़ने के लिए तैयार हैं.
चीतों को अब बाहर जाने दी जाएगी अनुमति
गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका से भी 18 फरवरी को कूनो नेशनल पार्क में 12 चीते लाए गए थे. इनमें 7 नर और 5 मादा चीते भी क्वारन्टीन बाड़ों में क्वारन्टीन अवधि पूरी कर चुके हैं. इन नए मेहमानों को अभी भी बाड़े में ही रखा गया है. फिलहाल 4 नामीबियाई चीतों को ही खुले जंगल में छोड़ा गया है. वन्यजीव विशेषज्ञों और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण का मानना है कि खुले में घूमने वाले चीतों को अब कूनो से बाहर जाने की भी अनुमति दी जाएगी. उन्हें तभी पकड़ा जाएगा जब वे उन क्षेत्रों में जाएंगे, जहां उनकी जान को खतरा हो सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि रिहाई के तुरंत बाद चीतों को बड़े क्षेत्रों में घूमते देखना आश्चर्यजनक नहीं है. यह सिर्फ उनका खोजपूर्ण चरण है. एक बार जब वे वातावरण और इसके संसाधनों को जान जाते हैं, तो वे बस जाएंगे. जिस क्षेत्र में वे बसेंगे, वह उनके अन्वेषण क्षेत्र से बहुत छोटा होगा.
मार्च के महीने में मादा चीता की हो गई थी मौत
यहां बता दे कि श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की इसी साल मार्च के महीने में मौत हो गई थी. 5 साल की साशा किडनी संक्रमण से पीड़ित थी. बताया जा रहा है कि भारत की धरती पर आने से पहले ही किडनी की बीमारी से जूझ रही थी. नामीबिया में उसका ऑपरेशन भी हो चुका था. एडीजी एनटीसीए संदीप यादव ने प्रेस नोट जारी कर मादा चीता की मौत की पुष्टि की थी.
खाफि दिनों से चल रहा थी इलाज
बता दें कि पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों (5 मादा और 3 नर) को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था. सभी 8 चीते बीते चार माह में अपने नए घर कूनो में सर्वाइव भी कर करने लगे थे. सभी चीते अब पूरी तरह फिट होकर शिकार भी कर रहे थे. इसी बीच, 22 जनवरी को इनमें से मादा चीता साशा बीमार हो गई थी. जिसका दुनिया में चीतों के सबसे बड़े विशेषज्ञ डॉ. एड्रियन टोरडीफ के परामर्श से इलाज भी किया गया, लेकिन अब उसे बचाया नहीं जा सका.