Kuno National Park: 70 साल बाद श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया (Namibia) और दक्षिण अफ्रिका (South Africa) से 20 चीते लाए गए थे. इन चीतों में से दो की मौत हो गई है. अब नेशनल पार्क में शेष 18 चीते बचे हैं. चीतों की मौत को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे (Ajay Dubey) ने सवाल उठाए हैं. अजय दुबे के अनुसार भारत सरकार ने अफसरों को ट्रेनिंग के लिए दक्षिण अफ्रिका और नामीबिया भेजा गया था, ताकि यह अफसर ट्रेंड हो सकें. इनकी ट्रेनिंग के बाद भी यदि चीतों की मौत हो रही है तो इन अफसरों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.
"वाइल्ड प्रोजेक्ट फेल हो गया"
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने एबीपी न्यूज संवाददाता से बात करते हुए कहा कि चीतों की मौत ने उजागर कर दिया है कि मध्य प्रदेश का वाइल्ड लाइफ प्रोजेक्ट फेल हो गया है. भारत सरकार ने अफसरों को लाखों रुपये खर्च कर नामीबिया और साउथ अफ्रिका भेजा था, ताकि यह अफसर चीतों की देखरेख की ट्रेनिंग ले सकें. अगर वे ऑफिसर्स ट्रेंड हैं तो फिर ये लापरवाही क्यों हो रही है. सरकार जांच करें और इन चीतों की डेथ की जो भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट है, उसे सार्वजनिक करे. उन अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, जो इन चीतों को बचाने में असफल हुए हैं, ताकि बाकी चीते बच सकें.
"लीडरशिप फेलियर का नतीजा है चीते की मौत"
अजय दुबे ने कहा कि उत्तम शर्मा जो चीता प्रोजेक्ट के इंचार्ज हैं, उनके पास ग्वालियर सीसीएफ का चार्ज है. इसके अलावा उनके पास माधव नेशनल पार्क का चार्ज है. यदि एक अधिकारी को आप इतने सारे काम देंगे और वह दूर 180 किलोमीटर दूर बैठेगा तो चीतों का कैसे बेहतर प्रबंधन होगा. गंभीर आरोपों के चलते एक महीने पहले डीएफओ का तबादला हो गया है. कहीं न कहीं चीता प्रोजेक्ट लीडरशिप फेलियर का नतीजा है. नामीबिया और साउथ अफिक्रा से ट्रेनिंग लेकर आए अफसरों की जिम्मेदार तय होनी चाहिए.
70 सात बाद भारत आए चीते
बता दें भारत में चीतों को बसाने के लए 70 साल बाद दक्षिण अफ्रिका और नामीबिया से चीते लाए गए हैं. पहली खेप में नामीयिा से आठ चीते, जबकि दूसरी खेप में दक्षिण अफ्रिका से 12 चीते लाए गए थे. इन चीतों को मप्र के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है. पहली खेप में लाए गए चीतों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इन्हें कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. चीतो का यह नायाब तोहफा मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री को दिया गया था.
साशा के बाद उदय की मौत
बता दें पिछले साल सितंबर के महीने में नामीबिया से आठ चीते लाए गए थे. इनमें पांच मादा और तीन नर चीते शामिल थे. इसके बाद दक्षिण अफ्रिका से 12 चीते लाए गए थे, इनमें सात नर और पांच चीते शामिल थे. सभी चीतों को श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है. बुरी खबर यह है कि इन चीतों में से जनवरी महीने में नामीबिया से लाई गई पांच साल की मादा चीता साशा की मौत हो गई थी. वहीं अब एक और नर चीता उदय की मौत हो गई है. दक्षिण अफ्रिका से लाए गए उदय की मौत के पीछे की वजह कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन बीमार होना बता रहा है. बहरहाल चीतों की मौत के बाद अब सवाल उठ रहे हैं.
पांच दिन पहले ही मिला था नाम
बता दें कूनो नेशनल पार्क में रखे गए चीतों को पांच दिन पहले ही भारतीय नाम दिए गए थे. इनमें ओबान को पवन, सवात्रा को नाभा, सियाया को ज्वाला, एल्टन को गौरव, फ्रेडी को शौर्य और तिब्लिसी को धात्री नाम दिया गया है. जबकि साउथ अफ्रीका से आए 12 चीतों में मादा फिडा को दक्षा, मापेसू को निर्वा, फिडा नर को वायू, फिंडा नर को अग्नि, स्वालू मादा को गामिनी, स्वालू नर को तेजस, स्वालू मादा को वीरा, स्वालू नर को सूरज, वाटरबर्ग को बायोस्फीयर, वयस्क मादा को धीरा तो एक नर कोउदय, दूसरे को प्रभाष व तीसरे को पावक नाम दिया गया है.
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