Ratapani Wildlife Sanctuary: वन्य जीव प्राणी जैव विविधता के चक्र को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे में यदि कोई जीव अपने दायित्वों से हटकर जीवनशैली जीने लगे तो वह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ऐसा ही व्यवहार मध्य प्रदेश के औबेदुल्लागंज वन क्षेत्र के एक तेंदुए में पाया गया. रातापानी अभ्यारण का यह तेंदुआ शिकार तो कर पा रहा था लेकिन शिकार का भक्षण नहीं कर पा रहा था.


कैसा व्यवहार कर रहा था तेंदुआ


तेंदुए के इस व्यवहार को देखते हुए वन विभाग ने उसकी मॉनिटरिंग की. उसे भोपाल वन विहार लाया गया है, ताकि उसकी जीवन शैली में सुधार आ सके. तेंदुए का व्यवहार आक्रामक और शिकारी का होना चाहिए, लेकिन ओबैदुल्लागंज क्षेत्र का एक तेंदुआ शिकार करता है. लेकिन उसे खा नहीं पाता. इसीलिए रातापानी सेंचुरी के वन्य अधिकारियों ने तेंदुए की दिन-रात मॉनिटरिंग की.


इसके लिए तेंदुए में रेडियो कॉलर भी लगाया गया था. इस दौरान उसके व्यवहार में कुछ समस्या नजर आई. इसके बाद उसकी मानसिक और शारीरिक चिकित्सा के लिए उसे राजधानी भोपाल के वन विहार लाया गया है. 


क्या कहना है विषेशज्ञों का


भोपाल वन विहार के वन्यजीव एक्सपर्ट और डॉक्टर तेंदुए का इलाज करेंगे और उसे वातावरण के अनुकूल बनाने का प्रयास करेंगे. वन विहार के डायरेक्टर पद्माप्रिया बालकृष्णन ने बताया कि जैव विविधता के अनुरूप हर वन्य जीव का अपना एक तौर तरीका होता है. इसमें वह अपनी जीवनशैली जीते हैं. हिंसक वन्य जीव प्राणी भी शिकार तभी करते हैं, जब उन्हें भूख लगती है, लेकिन इस तेंदुए के मामले में समस्या थोड़ी अलग है.


यह तेंदुआ शिकार तो कर पा रहा है लेकिन उसे खा नहीं पा रहा है. इसलिए तेंदुए को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए वनविहार लाया गया है. यहां पर एक्सपर्ट डॉक्टर की मदद से तेंदुए का इलाज किया जाएगा. इलाज में ठीक होने पर उसे उसकी टेरिटरी में भेज दिया जाएगा.


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