Lok Sabha Election 2024: बीजेपी-कांग्रेस ने महाकौशल में बिछायी बिसात, आदिवासी वोटर्स के हाथ में हार-जीत की चाबी
Mahakaushal Lok Sabha Seat: महाकौशल की चार लोकसभा सीटों पर को जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है. दोनों पार्टियों के दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में समर्थन मांग चुके हैं.
MP Lok Sabha Election 2024: बीजेपी के वनवासी और कांग्रेस के आदिवासी इन दिनों मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति के केंद्र में है. मध्य प्रदेश की 6 लोकसभा सीटों पर पहले चरण में मतदान होना है. 6 में 4 महाकौशल की लोकसभा सीट शामिल है. कहा जा रहा है कि महाकौशल की चारों सीटों पर आदिवासी वोट जीत हार का फैसला करेगा. पिछले चार दिनों के दौरान महाकौशल और विंध्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की दो-दो चुनावी सभाएं हो चुकी हैं.
महाकौशल बीजेपी और कांग्रेस के लिए क्यों है खास?
बता दें कि महाकौशल की चार सीटों जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट और मंडला में पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा. छिंदवाड़ा छोड़कर बाकी तीन सीटों पर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस को मध्य प्रदेश की एकमात्र छिंदवाड़ा सीट से संतोष करना पड़ा था. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा में कांग्रेस की जीत दिलायी थी. बीजेपी और कांग्रेस दोनों महाकौशल के बहुसंख्यक आदिवासी वोटों का महत्व भली-भांति समझ रहे हैं.
'अबकी बार 400 पार' और 'मिशन-29' को पूरा करने के लिए बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महाकौशल इलाके में सबसे पहले चुनाव प्रचार की कमान सौंपी. प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश में चुनाव अभियान का शंखनाद 7 अप्रैल को जबलपुर में रोड शो से किया. 9 अप्रैल को उन्होंने महाकौशल की बालाघाट संसदीय सीट पर आमसभा को संबोधित किया. राहुल गांधी भी महाकौशल की मंडला लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार के लिए आ चुके हैं. उन्होंने सिवनी जिले की धनोरा और शहडोल में चुनावी सभा को संबोधित किया था.
बीजेपी के वनवासी और कांग्रेस के आदिवासी बने मुद्दा
भाषण के दौरान उन्होंने आदिवासियों को मूल निवासी बताते हुए जल, जंगल और जमीन का अधिकार देने की बात कही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वनवासियों के लोकनायकों और प्रतीकों को सम्मान देने का वादा दोहराया. पीएम मोदी की आदिवासी बाहुल्य महाकौशल से चुनाव प्रचार शुरू करवाने की बीजेपी की सोची समझी रणनीति है. लगभग 6 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने बाजी मारी. लेकिन महाकौशल की चार संसदीय क्षेत्रों की विधानसभा का नतीजा बीजेपी के लिए चिंता का करण है.
31 में से कांग्रेस के 16 और बीजेपी के 15 विधायक बने
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को मंडला जिले की निवास सीट से विधानसभा चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा था. नवम्बर 2023 में जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट और मंडला लोकसभा सीटों के अंतर्गत आने वाले 31 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को अप्रत्याशित रूप से बीजेपी पर मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल गई थी. कांग्रेस ने 16 और बीजेपी ने 15 सीटों पर जीत प्राप्त किया. आदिवासी बहुल छिंदवाड़ा की सभी सात सीटें कांग्रेस के खाते में गई. इसी तरह मंडला लोकसभा के तहत आने वाली 8 विधानसभा सीटों में 5 पर कांग्रेस और 3 पर बीजेपी जीती थी.बालाघाट में दोनों पार्टियों का स्कोर चार-चार विधानसभा सीट का था.
जबलपुर की आठ में से 7 सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस के खाते में मात्र एक सीट से संतोष करना पड़ा था. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट और मंडला सीट पर जीत-हार में आदिवासी वोटर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के महाकौशल इलाके में लगातार दौरों, आक्रमक चुनाव प्रचार के बावजूद विधानसभा चुनाव में बीजेपी पिछड़ गई. विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेसी दिग्गज राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी महाकौशल इलाके में जमकर प्रचार किया था. दोनों के प्रचार से कांग्रेस को बढ़त मिलती हुई दिखाई दी.
वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे कहते हैं कि आदिवासी वोटर अभी भी परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ जुड़ाव महसूस करता है. इसी वजह से लोकसभा चुनाव में बीजेपी एक बार फिर महाकौशल पर फोकस कर रही है. 7 अप्रैल को जबलपुर में पीएम मोदी का रोड शो, 9 अप्रैल को बालाघाट की रैली बताती है कि बीजेपी कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा सहित महाकौशल की सभी चार लोकसभा सीटों को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. पार्टी ने कुशल संगठन और मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को महाकौशल फतेह का जिम्मा दे रखा है.