Hoshangabad Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सबसे हॉट सीट नर्मदापुरम (Hoshangabad) बन गयी है. 2 पूर्व मुख्यमंत्री भी नर्मदापुरम लोकसभा सीट से किस्मत आजमा चुके हैं. एक के हाथ हार लगी और दूसरे को मिली जीत. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह को हार का सामना करना पड़ा था.


बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने 1999 में होशंगाबाद लोकसभा सीट पर जीत का परचम लहराया. इस बार अहम मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच है. दोनों उम्मीदवारों का पहला लोकसभा चुनाव है. लेकिन राजनीतिक रूप से दोनों किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं.


नर्मदापुरम सीट का जानें इतिहास


नर्मदापुरम लोकसभा सीट को बचाने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगा रही है. कांग्रेस ने प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया है. राजनीतिक गलियारों में दो वजहों से चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है. पहला, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सांसद राव उदय प्रताप सिंह इस बार प्रत्याशी नहीं हैं. उन्होंने मध्य प्रदेश में सर्वाधिक वोटों से जीत हासिल की थी.


दूसरा, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में तेंदूखेड़ा सीट से हार का सामना करने वाले दूसरे नम्बर के सबसे धनी पूर्व विधायक संजय शर्मा को टिकट दिया है. बता दें कि राव उदय प्रताप सिंह विधानसभा चुनाव जीतने के बाद डॉ. मोहन यादव सरकार में मंत्री बन चुके हैं. इस वजह से बीजेपी ने ओबीसी वर्ग (किरार धाकड़ समाज) के दर्शन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है.


कांग्रेस- बीजेपी के बीच मुकाबला


गौरतलब है कि 2019 में बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी राव उदय प्रताप सिंह ने कुल 8 लाख 77 हजार 927 वोट पाया. प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी को 3 लाख 24 हजार 245 हजार वोट मिले. राव उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस के दीवान शैलेंद्र सिंह को सर्वाधिक 5 लाख 53 हजार 682 वोटों से हराया. नर्मदापुरम लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार दर्शन सिंह चौधरी कभी सरकारी नौकरी में थे.


उन्होंने शिक्षक संगठन बनाकर आंदोलन भी किया. 4 बार जेल भी गये और आखिरकार सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आने का फैसला कर लिया. दर्शन सिंह किरार धाकड़ समाज से आते हैं और कहा जाता है कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह का वरदहस्त भी प्राप्त है. 


कांग्रेस उम्मीदवार संजय शर्मा कद्दावर और धाकड़ नेताओं में गिने जाते हैं. उन्होंने दो बार बीजेपी के टिकट पर तेंदूखेड़ा का विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया. साल 2019 में उन्होंने पाला बदलकर  कांग्रेस का दामन थाम लिया.


एक बार फिर तेंदूखेड़ा से विधायक चुने गए. विधानसभा चुनाव में तेंदूखेड़ा से संजय शर्मा को बीजेपी के विश्वनाथ सिंह पटेल ने लगभग 15 हजार वोटो से हरा दिया.


चुनावी हलफनामे के मुताबिक तेंदूखेड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे संजय शर्मा की चल-अचल संपत्ति 212 करोड़ रुपए थी. संजय शर्मा अरबपति कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट में दूसरे पर थे.


1951 के पहले आम चुनाव में नर्मदापुरम से कांग्रेस प्रत्याशी सैयद अहमद ने जीत दर्ज की थी. साल 1952 के उपचुनाव में हरि विष्णु कामथ ने जीत दर्ज की. उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा.


1957 में एक बार फिर कांग्रेस ने जोरदार वापसी करते हुए नर्मदापुरम जीत लिया. 1962 में एक बार फिर नर्मदापुरम लोकसभा सीट प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हरि विष्णु कामथ ने जीत लिया. 1967 और 1971 में कांग्रेस प्रत्याशी नीतिराज सिंह ने लगातार 2 बार जीत हासिल की.


1977 में पहली बार जनता पार्टी ने चुनाव जीता. 1980 और 1984 में कांग्रेस के रामेश्वर नीखरा लगातार दो बार सांसद चुने गए. 1989 में बीजेपी के सरताज सिंह ने पहली बार जीत हासिल की और 1999 तक लगातार चुनाव जीतते रहे. 2009 के लोकसभा चुनाव में लंबे समय बाद नर्मदापुरम से कांग्रेस को जीत मिली. 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर राव उदय प्रताप सिंह ने नर्मदापुरम सीट फिर से जीत लिया.