Lok Sabha Election: छिंदवाड़ा लोकसभा सीट फिर से चर्चा में, क्या फिर से उठने वाला है कोई सियासी तूफान?
Sabha Election 2024: छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ है. उनके बेटे नकुलनाथ इसी सीट से मध्यप्रदेश में कांग्रेस के इकलौते सांसद हैं. एमपी का यही अकेला जिला है, जहां की सभी 7 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं.
MP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मध्यप्रदेश में सियासी गहमागहमी तेज हो गई है. कमलनाथ का परिवार और छिंदवाड़ा लोकसभा सीट एक बार फिर चर्चा में है. चर्चा ये नहीं है कि छिंदवाड़ा से कौन लड़ेगा. चर्चा फिर वही है कि कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ कांग्रेस के ही टिकट पर लड़ने वाले हैं या वो तूफान फिर से उठने वाला है जो कुछ दिन पहले दस्तक देकर शांत हो गया था. ऐसी हलचल दोबारा क्यों शुरू हो गई है, इसकी कुछ वजहें हैं. दरअसल, राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 2 मार्च से 6 मार्च तक मध्यप्रदेश में रही. 6 मार्च को धार जिले के बदनावर में कांग्रेस ने बड़ी रैली की थी.
इस रैली में राहुल गांधी के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मौजूद थे. पार्टी ने तय किया था कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जितने भी विधायक हैं, उनसे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे मुलाकात करेंगे और लोकसभा चुनाव पर बात करेंगे. लेकिन इस रैली में ना तो कमलनाथ शामिल हुए और ना ही छिंदवाड़ा के बाकी विधायक.
छिंदवाड़ा है कमलनाथ का गढ़
छिंदवाड़ा का जिक्र इस वजह से अहम हो जाता है क्योंकि छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ है. उनके बेटे नकुलनाथ इसी लोकसभा सीट से मध्यप्रदेश में कांग्रेस के इकलौते सांसद हैं. मध्यप्रदेश का यही वो अकेला जिला है, जहां की सभी 7 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. इन्हीं विधायकों में से एक कमलनाथ भी हैं. माना जाता है कि कमलनाथ जो कहते हैं, बाकी के 6 विधायक वही करते हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या कमलनाथ के ही कहने पर कांग्रेस के विधायकों ने राहुल की यात्रा से दूरी बनाई? और अगर ऐसा हुआ तो इसकी वजह क्या थी?
कांग्रेस के पार्षदों ने क्यों दिया था इस्तीफा?
कमलनाथ और नकुलनाथ के छिंदवाड़ा में इन दिनों बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो वो बड़ा इशारा करता है. कुछ दिन पहले ही छिंदवाड़ा में कांग्रेस के 7 पार्षदों ने एक साथ इस्तीफा दिया और सब बीजेपी में शामिल हो गए. छिंदवाड़ा नगर निगम में 48 पार्षद हैं. अभी तक यहां कांग्रेस के 28 और बीजेपी के 20 पार्षद थे. लेकिन अब कांग्रेस के पार्षदों की संख्या 21 बची है और बीजेपी के पार्षदों की संख्या 27 हो गई है.
अब सवाल है कि जब छिंदवाड़ा में कांग्रेस के विधायक भी कमलनाथ के इशारों पर चलते हैं तो क्या ये पार्षद अपने मन से ही बीजेपी में जा रहे हैं या इन्हें कहीं से निर्देशित किया जा रहा है.
सीएम मोहन यादव ने क्या कहा था?
कांग्रेस के इन पार्षदों को बीजेपी में शामिल कराने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव भी छिंदवाड़ा पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि कोई आज आया है कोई कल आयेगा. बीजेपी का बढ़ता परिवार इस बात का संकेत है. देश के यशस्वी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी का समय चल रहा है. पूरे प्रदेश में जो हवा बही, उसी हवा का परिणाम है. प्रदेश में 163 सीटों के साथ बीजेपी की सरकार बनी है. इसके लिए आपका आभार मानता हूं. सीएम मोहन यादव ने किसी के लिए दरवाजा खुला होने या बंद होने की बात भले ना कही हो लेकिन छिंदवाड़ा से एक बड़ा संकेत जरूर दे दिया.
क्या कमलनाथ खेल रहे हैं सियासी गेम?
कांग्रेस नेता कमलनाथ के हाव-भाव को लेकर फिर से सवाल उठने लगे हैं. इसकी कुछ वजहें हैं, जिससे ये संकेत मिलते हैं. पिछले कुछ दिनों से कमलनाथ राहुल गांधी की यात्रा को लेकर खासा उत्साहित दिख रहे थे. 2 मार्च को जब यात्रा मुरैना के रास्ते मध्यप्रदेश में दाखिल हुई तो कमलनाथ ग्वालियर तक साथ रहे लेकिन 3 और 4 मार्च को वो यात्रा में कहीं नहीं दिखे. इन दिनों में यात्रा शिवपुरी, गुना, शाजापुर जैसे इलाकों में रही. 5 मार्च को जब राहुल गांधी उज्जैन में महाकाल के दरबार पहुंचे, तो कमलनाथ एक बार फिर दिखाई दिये. पूजा-अर्चना में भी शामिल हुए. तस्वीरें भी साझा की लेकिन 6 मार्च को फिर से कमलनाथ गायब हो गए थे. ऐसे में सवाल है कि क्या कमलनाथ फिर कोई सियासी गेम खेल रहे हैं.
नकुलनाथ किस पार्टी से लड़ेंगे चुनाव?
ऐसा अगर मानकर भी चला जाए कि कमलनाथ कांग्रेस छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे लेकिन क्या वो अपने बेटे नकुलनाथ की गारंटी भी लेंगे? क्योंकि नकुलनाथ का भी पूरा फोकस अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा पर ही है. उन्होंने 2 मार्च को राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने की बात जरूर कही थी लेकिन राहुल गांधी के साथ उनकी कोई भी तस्वीर सामने नहीं आई. यहां तक की उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर भी यात्रा से जुड़ी अपनी कोई तस्वीर साझा नहीं की. एक तरफ कमलनाथ और नकुलनाथ को लेकर तमाम तरह के सियासी संदेह हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी के नेता ना तो कमलनाथ पर कोई हमला कर रहे हैं और ना ही नकुलनाथ के खिलाफ कुछ बोल रहे हैं.
बीजेपी में जाने की अटकलों को बताया था निराधार
बता दें कि यही स्थिति तब भी पैदा हुई थी जब फरवरी के शुरुआत में पहली बार कमलनाथ परिवार के बीजेपी में जाने की चर्चा शुरू हुई थी. उस दौरान कमलनाथ के कई करीबी नेता एक-एक कर बीजेपी में शामिल हुए थे और एक बार फिर छिंदवाड़ा में यही महसूस हो रहा है. पिछले दिनों जब कमलनाथ के बीजेपी में जाने की चर्चा हो रही थी तब इस मुद्दे पर कमलनाथ कई दिन तक खामोश थे.
उनकी तरफ से जो भी जवाब आ रहा था, वो जवाब ही अपने आप में सवाल होता था. हालांकि 14 फरवरी को उन्होंने ऐसी खबरों को निराधार बताया था. नकुलनाथ को भी ये कहना पड़ा था कि ना तो वो बीजेपी में जा रहे हैं और ना ही उनके पिता कहीं जा रहे हैं.
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