Madhya Pradesh Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में बीजेपी लोकसभा की सभी 29 और कांग्रेस 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. सूबे में चार चरणों में वोटिंग होगी. दोनों ही दलों ने अपने कैंडिडेट्स के नाम घोषित कर दिए हैं. गौर करने वाली बात यह है कि बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों ने मध्य प्रदेश में तकरीबन 6 फीसदी वोटर्स वाले मुस्लिम समुदाय के किसी भी नेता को अपना कैंडिडेट नहीं बनाया है.


राजनीतिक विश्लेषक शम्स उर रहमान अलवी कहते हैं कि मध्य प्रदेश में सीधे तौर पर वोटों के ध्रुवीकरण के चलते राजनीतिक दल मुसलमानों को टिकट नहीं देते हैं, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस समाज से भी अब नेता निकल कर सामने नहीं आ रहे. अलवी कहते हैं कि मध्य प्रदेश में लंबे समय से 'टू पार्टी' सिस्टम से चुनाव हो रहे हैं. क्योंकि मुसलमानों की आबादी बेहद कम है, इसलिए ना जीत पाने की संभावना के चलते बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस समुदाय से अपना कैंडिडेट नहीं चुनते हैं.


विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों को मिली थी जीत
गौरतलब है कि नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने भोपाल जिले में दो मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिन्हें जीत हासिल हुई. भोपाल उत्तर से कांग्रेस प्रत्याशी आतिफ अकील ने बीजेपी के आलोक शर्मा को हराया था, जबकि भोपाल मध्य से कांग्रेस प्रत्याशी आरिफ मसूद ने बीजेपी के ध्रुव नारायण सिंह को शिकस्त दी थी.


यहां बताते चलें कि मध्य प्रदेश की आबादी 8.50 करोड़ है. इसमें 6.50 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, जो लगभग 60 से 65 लाख है. प्रदेश में तकरीबन 45 लाख मतदाता हैं. इसी तरह एमपी की 230 विधानसभा सीट में से करीब 45 ऐसी हैं, जहां 20 हजार से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं.यह कुल वोटर का दस प्रतिशत के आसपास है.


इंदौर-उज्जैन में मुस्लिम समुदाय का प्रभाव
गौर करने वाला एक और आंकड़ा ये है कि प्रदेश के करीब 50 लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं का करीब 70 से 72 प्रतिशत वोट इंदौर और उज्जैन संभाग में मौजूद है. इनमें इंदौर संभाग की इंदौर एक और इंदौर पांच, महू, राऊ, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर विधानसभा शामिल हैं. इसी तरह उज्जैन संभाग के उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, जावरा, शाजापुर, शुजालपुर, आगर मालवा आदि विधानसभा मुस्लिम बहुल सीटों में शामिल हैं. 


जबलपुर की पूर्व एवं पाटन की सीट में भी मुस्लिम समुदाय के काफी वोट हैं. इस लिहाज से प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों का इंदौर-उज्जैन का एक बड़ा हिस्सा इस समुदाय के वोट से प्रभावित होने वाला है.


मध्य प्रदेश के बड़े मुस्लिम नेता
विश्लेषक शम्स उर रहमान अलवी बताते हैं कि मध्य प्रदेश में मुस्लिम सियासत का ग्राफ कभी भी बहुत ऊंचा नहीं जा पाया है. भोपाल में कांग्रेस के खान शाकिर अली खान से शुरू होने वाली सियासती परंपरा आरिफ अकील और आरिफ बेग जैसे नाम पर खत्म हो गई. बीच में रसूल अहमद सिद्दीकी, हसनात सिद्दीकी या आरिफ मसूद जैसे सक्रिय नाम लिए जा सकते हैं. इनके अलावा, अपने समय के दिग्गज गुफरान ए आजम, डॉ. अजीज कुरैशी और पूर्व सांसद असलम शेर खान जैसे बड़े नाम भी मुस्लिम लीडर्स में शामिल हैं, लेकिन इनकी सियासत भी एक दायरे तक ही सीमित रही.


बीजेपी के मुस्लिम नेताओं के मुद्दे
बीजेपी में तो मुस्लिम नेताओं की सीमाएं अल्पसंख्यक मोर्चा और वक्फ बोर्ड तक ही सिमट कर रह गईं. हालांकि, डॉ. सनव्वर पटेल को बीजेपी ने अपने मुख्य संगठन में प्रवक्ता के रूप में शामिल किया है. इसके अलावा, उन्हें दो बार कैबिनेट मंत्री के दर्जे से भी नवाजा जा चुका है. 


इसी तरह जबलपुर के एसके मुद्दीन को भी वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था. बीजेपी की विचारधारा से जुड़ने वाले मुस्लिम नेताओं में मरहूम रियाज अली काका, मरहूम अनवर मोहम्मद खान और मरहूम सलीम कुरैशी के अलावा जाफर बेग, हकीम कुरैशी, कलीम अहमद बच्चा, एसके मुद्दीन, शौकत मोहम्मद खान, आगा अब्दुल कय्यूम खान, हिदायत उल्लाह खान जैसे नाम भी शामिल हैं.


मुस्लिम उम्मीदवार न उतारने पर बीजेपी का बयान
बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने किसी भी मुस्लिम नेता को लोकसभा की टिकट न देने के सवाल पर कहा कि हमारी पार्टी वोट बैंक या तुष्टीकरण की नहीं बल्कि संतुष्टीकरण की राजनीति करती है. टिकट विनेबिलिटी या जीतने योग्य उम्मीदवार को देखकर दी जाती है. जिस दिन लगेगा कि कोई इस वर्ग से जीतने योग्य कैंडिडेट है तो उसे टिकट दिया जाएगा लेकिन हमारी सरकार किसी भी वर्ग से भेदभाव नहीं करती. 


सरकार की योजनाओं के सबसे ज्यादा लाभार्थी इसी के लोग हैं. हमारी सरकार का ध्येय 'सबका साथ सबका विकास' है, इसलिए हम किसी से भेदभाव नहीं करते.


मुस्लिम उम्मीदवार न उतारने पर कांग्रेस का बयान
वहीं, कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता रोशनी यादव का कहना है कि पार्टी ने जीतने की संभावना वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इसके लिए कार्यकर्ताओं की रायशुमारी और सर्वे एजेंसीज की मदद ली गई है. पार्टी जाति या धर्म देखकर किसी को टिकट नहीं देती है लेकिन कांग्रेस का उद्देश्य सभी जाति और धर्म के लोगों का भलाई और कल्याण है. हमने अपने न्याय पत्र में तमाम गारंटी दी हैं.


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