Lok Sabha Elections: कैलाश विजयवर्गीय को मिली कमलनाथ का गढ़ भेदने की जिम्मेदारी, आज से छिंदवाड़ा के दौरे पर रहेंगे मंत्री
MP Lok Sabha Chunav 2024: बीजेपी ने कैलाश विजयवर्गीय को कमलनाथ का गढ़ भेदने की जिम्मेदारी दी है. इसी जिम्मेदारी के तहत विजयवर्गीय आज से छिंदवाड़ा के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगे.
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MP Lok Sabha Elections 2024: हरियाणा, पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रभारी रहे कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) की नजर अब कमलनाथ के अभेद गढ़ छिंदवाड़ा पर है. भारतीय जनता पार्टी ने कैलाश विजयवर्गीय को महाकौशल क्लस्टर प्रभारी बनाया है. विजयवर्गीय आज (19 मार्च) से तीन दिन छिंदवाड़ा के प्रवास पर रहेंगे. इस दौरान वह कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे.
मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट बीते 72 साल से (एक साल छोड़ कर) कांग्रेस का गढ़ बनी हुई है. कांग्रेस के इस अभेद किले को भेदने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने तमाम तरह की कोशिश कर ली, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. साल 1980 से छिंदवाड़ा सीट पर कमलनाथ परिवार का कब्जा चला रहा है. हालांकि, 1998 में उपचुनाव में बीजेपी के सुंदरलाल पटवा ने यहां कमलनाथ को हराया था और एक साल के लिए सांसद चुने गए थे.
विजयवर्गीय भेदेंगे कांग्रेस का अभेद्य किला?
इसके बाद फिर से इस सीट पर कमलनाथ परिवार ही काबित होता आ रहा है. वर्तमान में भी कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ यहां से सांसद हैं, जबकि अब फिर से कांग्रेस ने नकुलनाथ को ही अपना प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी में कैलाश विजयवर्गीय संकटमोचक के रूप में काम संभालते नजर आ रहे हैं. कैलाश विजयवर्गीय को बीजेपी ऐसे प्रदेशों में भेजती आ रही है, जो कहीं न कहीं बीजेपी के प्रभाव वाले नहीं हैं.
विजयवर्गीय को इससे पहले पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया गया था. यहां पहली बार बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया और विधानसभा चुनाव में उनकी सीटें बढ़ी. इसी तरह विजयवर्गीय को हरियाणा का प्रभारी बनाया गया था. अब बीजेपी ने विजयवर्गीय को कमलनाथ का गढ़ भेदने की जिम्मेदारी दी है. इसी जिम्मेदारी के तहत विजयवर्गीय आज से छिंदवाड़ा के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगे. इस दौरान वह बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे.
कब कौन रहा सांसद?
छिंदवाड़ा सीट का गठन साल 1952 में हुआ था. पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस के रायचंद भाई शाह विजयी हुए थे. इसके बाद 1957 में कांग्रेस के ही भीकूलाल लक्ष्मचंद, 1962 में नारायण राव मणिराम, 1967 में भीकूलाल लक्ष्मीचंद, 1971 में गार्गी शंकर मिश्रा, 1977 में गार्गी शंकर मिश्रा, 1980 में गार्गी शंकर मिश्रा, 1980 में कमलनाथ, 1984 में कमलनाथ को जीत मिली.
इसके बाद 1989 में फिर कमलनाथ, 1991 में कमलनाथ, 1996 में कमलनाथ, 1997 में अलकानाथ, 1998 में बीजेपी के सुंदरलाल पटवा, 1998 में कमलनाथ, 2004 में कमलनाथ, 2009 में कमलनाथ, 2014 में कमलनाथ, 2019 में नकुलनाथ यहां से सांसद चुने गए.
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