Resort On Forest Land: भोपाल संभाग के रायसेन सीहोर जिले के अंतर्गत आने वाले वन मंडलों की वन भूमि राजस्व विभाग को ट्रांसफर तो कर दी गई. लेकिन वन विभाग के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. वन ग्रामों की भूमि को आरक्षित वन घोषित करने संबंधी कोई आदेश भी वन मंडलों के अभिलेख में उपलब्ध नहीं है और न ही ये वन भूमि डी-नोटिफाई हुई है. इसके चलते वर्षों से वन भूमियों में बड़े पैमाने पर जंगल काटकर खेती की जा रही है. अधिकांश वन भूमि में होटल और रिसोर्ट संचालित किए जा रहे हैं.

 

1962 में राजस्व विभाग को दी थी वन भूमि, नहीं कोई रिकॉर्ड

 

भोपाल जिले में बैरसिया और समरधा वन परिक्षेत्र में दस वन क्षेत्र हैं. जहां खेती की जा रही है. रायसेन वन मंडल के 34 वन क्षेत्रों में कृषि और औबेदुल्लागंज वन मंडल के 33 वन क्षेत्रों में आबादी की बसाहट है. यहां खेती भी हो रही है और कुछ जगह होटल रिसोर्ट बनाकर व्यवसाय किया जा रहा है. बता दें कि साल 1962 में राजस्व विभाग को वन भूमि हस्तांतरित की गई थी, लेकिन वन विभाग के पास इसके वन मंडलों के भू अभिलेख का कोई रिकॉर्ड नहीं है. नियम अनुसार वन ग्राम की भूमि का विक्रय व्यवसायिक उद्देश्य से नहीं किया जा सकता है. यह वन भूमि डी-नोटिफाई भी नहीं हुई. बावजूद इसके यहां की वन भूमिकों का क्रय करने के बाद होटल और रिसोर्ट बना लिए गए. राजस्व और वन क्षेत्र के सीमा विवाद को सुलझाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया था. दो तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव और केके सिंह ने गठिन टास्क फोर्स में अपने-अपने सुझाव भी दिए. लेकिन इन सुझावों पर अब तक कोई काम नहीं हो पाया है. 

 

वन भूमि पर मुख्य सचिव का रिसोर्ट

 

बता दें कि वर्ष 2022 में पूर्व मुख्य सचिव आदित्य विजय सिंह का सीहोर जिले में स्थित रातापानी वन क्षेत्र में कोलार डेम के पास रिसोर्ट चर्चाओं में आ रहा है, यह वन क्षेत्र में होना पाया गया है, जिसकी सात माह बाद भी संयुक्त जांच पूरी नहीं हुई है. सीहोर जिले का राजस्व एवं वनमंडल कार्यालय संयुक्त रूप से जांच कर रहा है. वाइल्ड बेरीज रिसोर्ट श्रंखला के अंतर्गत रातापानी जंगल लाज के नाम से जाना जाता है. सीहोर वन मंडल ने इसे वन भूमि में बना होना पाया था और जून में नोटिस भेजकर गैर वानिकी कार्य करने पर रोक लगाई थी. नोटिस पर आदित्य विजय सिंह ने वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह को शिकायत की थी कि उनके पास रिसोर्ट की भूमि के स्वामित्व संबंधी सभी अभिलेख है. मुख्य सचिव के निर्देश पर वन विभाग ने सीहोर वन मंडल के डीएफओ से जवाब तलब किया गया था, जवाब नहीं आने पर विभाग ने स्मरण पत्र जारी किया जिसके बाद संयुक्त जांच शुरु की गई.