Narmada Jayanti 2024: मध्य प्रदेश में कल मनाई जाएगी मां नर्मदा जयंती, आज अर्पित की गई 1100 फीट की चुनरी
Madhya Pradesh News: सनातन धर्म में गंगा की तरह नर्मदा को भी बहुत पूजनीय नदी माना जाता है. भारत की पांच सबसे बड़ी नदियों में नर्मदा भी एक है. आज जबलपुर में मां नर्मदा को चुनरी अर्पित की गई.
Narmada Jayanti 2024: मां नर्मदा जयंती के अवसर पर आज गुरुवार (15 फरवरी) को जबलपुर में 1100 फुट की चुनरी मां नर्मदा को अर्पित की गई. इस मौके पर संतों ने एक स्वर में कहा कि नर्मदा को स्वच्छ रखना हमारा पहला कर्तव्य है. इसे प्रदूषण से बचाना है क्योंकि यह जीवन दायिनी है. गर्भग्रह से साल में एक बार निकली मां नर्मदा के पादुका दर्शन दुग्धभिषेक और दीपदान भी किया गया.
नर्मदा उमाशंकर चुनरी भक्त समिति की तरफ से लगातार 21वें वर्ष में उमाघाट (ग्वारीघाट) से उस पार गुरुद्वारा घाट तक आज 1100 फुट की चुनरी स्वामी अखिलेशवरानंद गिरी महाराज, स्वामी गिरिशानंद महाराज स्वामी,साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी, स्वामी पागलनंद महाराज, शिरोमणि दीदी और संपूर्ण दीदी की मौजूदगी में अर्पित की गई. इसके पूर्व ढोल-धमाके के साथ ग्वारीघाट तीर्थ क्षेत्र में चुनरी यात्रा भी निकाली गई.
यहां बताते चले कि मध्य प्रदेश में नर्मदा जयंती कल शुक्रवार (16 फरवरी) को मनाई जाएगी. नर्मदा जयंती पर पूरे दिन धर्म और आस्था की गंगा बहेगी. इस दिन जबलपुर सहित उन सभी शहरों में आस्था का सैलाब देखने को मिलेगा, जहां से पवित्र नर्मदा नदी गुजरती है. जबलपुर में नर्मदा जयंती पर अनेक संगठनों की तरफ से चुनरी यात्रा निकाली जाएगी. इस पर्व पर भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने प्रतिबन्धात्मक आदेश जारी किये हैं.
नर्मदा नदी में स्नान करने से धुल जाते हैं सारे पाप
शहर के प्रमुख उमाघाट पर भोजन और प्रसादी के वितरण के साथ आतिशबाजी पर प्रतिबन्ध लागू रहेगा. आदेश के मुताबिक वाहनों को अवधपुरी से लेफ्ट टर्न कराकर आयुर्वेदिक कॉलेज ग्राउंड में पार्क किया जायेगा. यहां से श्रद्वालु पैदल जिलहरी घाट वाले रास्ते से उमाघाट तक जा सकेंगे. वापसी के समय चार पहिया वाहनों से केवल भटौली के रास्ते से शहर के लिए वापस लौटने की व्यवस्था होगी. नर्मदा जयंती पर सुरक्षा को देखते हुये उमाघाट पर दुकानें नहीं लगेगी.
बता दें कि नर्मदा नदी का सनातन धर्म में विशेष स्थान है. कहते हैं गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वह नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही प्राप्त होता है. मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे मध्य प्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है. गोदावरी और कृष्ण के बाद नर्मदा तीसरी सबसे लंबी नदी है, जो पूरी तरह से भारत के भीतर बहती है.
सनातन धर्म में गंगा की तरह नर्मदा को भी बहुत पूजनीय नदी माना जाता है. भारत की पांच सबसे बड़ी नदियों में नर्मदा भी एक है. धार्मिक मान्यता के अनुसार माघ शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को मां नर्मदा का जन्म हुआ था. इसलिए हर साल इसी तिथि में नर्मदा जयंती मनाई जाती है. मान्यता है कि नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है.नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान के बाद पूजा-पाठ करें और संध्या में आरती या नर्मदा अष्टक का पाठ करना फलदायी माना जाता है.
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