Maha Shivratri 2022: बुंदेलखंड में मौजूद है भगवान शिव का 'तेरहवां ज्योतिर्लिंग', यहां महाशिवरात्रि पर पूजा का विशेष महत्व
Mahashivratri 2022: मध्यप्रदेश के दमोह जिले में स्थित श्री जागेश्वरनाथ धाम मंदिर में महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
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Shree Jageshwarnath Dham Temple, Bandakpur: हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का त्योहार मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार आज 1 मार्च को महाशिवरात्रि है. इस विशेष पर्व पर मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के एक और प्राचीन और दिव्य स्वयंभू भोले शंकर (Bhole Shankar) के दर्शन कराएंगे.
यह प्राचीन मंदिर बुंदेलखंड (Bundelkhand) के दमोह जिले में है, जहां तीर्थ क्षेत्र श्री जागेश्वरनाथ धाम बांदकपुर में (Shree Jageshwarnath Dham Bandakpur), भगवान शिव (Lord Shiva) अनादिकाल से विराजमान हैं. इस देव स्थान की प्रसिद्धि तेरहवें ज्योतिर्लिंग के रूप में पूरे भारत में है. यही कारण है कि, चारों धाम की यात्रा करने वाला इस तीर्थ के दर्शन किए बिना नहीं रहता, जहां पर प्रथम श्रीनाथ जी का स्वयंभूलिंग है. ऐसी मान्यता है कि, इनके दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
श्री महादेव जी के मंदिर से लगभग 31 मीटर की दूरी पर सामने ही एक दूसरा मंदिर है. महादेव के ठीक सामने वाले इस मंदिर में माता पार्वती की प्रतिमा है, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा सन 1844 ई में हुई थी. मंदिर के गर्भस्थल स्थल में ठीक श्री जागेश्वर नाथ जी और महादेवजी के सामने माता पार्वती की मूर्ति विराजमान है. यह मूर्ति संगमरमर की है. माता की मूर्ति की दृष्टि ठीक जागेश्वरनाथ जी महादेव पर पड़ती है. इसमें अद्भुत कला के दर्शन होते हैं.
सन 1711 में स्थापित इस मंदिर में यह है विशेषताएं
स्वयंभू शिवलिंग श्री जागेश्वरनाथ जी मंदिर को दीवान बालाजी राव चांदोरकर ने सन् 1711 में बनवाया था. महादेव जी मंदिर से पूरब की तरफ 100 फुट की दूरी पर माता पार्वती जी की मनोहारी भव्य प्रतिमा और मंदिर है. 2.25 हेक्टेयर के मंदिर परिसर में यज्ञ मण्डप, अमृतकुण्ड, श्री दुर्गाजी मंदिर, श्री काल भैरवजी मंदिर, श्री रामजानकी-लक्ष्मण-हनुमान जी मंदिर, नर्मदाजी मंदिर, सत्यनारायण, लक्ष्मीजी और राधाकृष्णजी मंदिर हैं. इसी परिसर में मंदिर कार्यालय संस्कृत विद्यालय है, साथ ही मुण्डन स्थल और विवाह मण्डप भी है.
जागृत शिवलिंग श्री जागेशवरनाथ जी का जिक्र स्कंद पुराण के गौरी कुमारिका खण्ड में भी मिलता है. बुंदेलखंड के बांदकपुर स्थित जागेश्वर धाम में विराजित शिवलिंग सालों से लोगों के आश्चर्य का केंद्र बना हुआ है. यह शिवलिंग हर साल चौड़ा यानी बढ़ता जा रहा है. इसके पीछे क्या कारण है, यह अब तक अज्ञात बना हुआ है.
भगवान शिव की बारात पार्वती के गांव लेकर आते हैं श्रद्धालु
प्राचीन काल से बसंत पंचमी और शिवरात्रि के पर्वों पर लाखों की संख्या में भक्त पैदल चलकर कांवर में नर्मदा नदी से जल लाकर श्री जागेश्वरनाथ की पिंडी पर चढ़ाकर जलाभिषेक करते हैं. मंदिर के संबंध में एक प्राचीन मान्यता है कि, सवा लाख कांवर का जल चढ़ने पर माता पार्वती और महादेव के मंदिरों के झंडे एक दूसरे के मंदिर तरफ झुककर आपस में मिलकर अपने आप गांठ बंध जाती है.
इन साक्षात चमत्कारों से अभिभूत श्रद्धालु महाशिव रात्रि पर्व पर भगवान शिव और पार्वती के स्वयंवर का आनंद उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं. इसमें दमोह तीन गुल्ली से भगवान शिव की बारात लेकर हजारों शिव भक्त आते हैं. जहां यह बारात माता पार्वती के गांव रोहनिया के बांदकपुर धाम में जाती है.
महाशिव रात्रि के पर्व पर भगवान शिव के दूल्हा बनने पर विशेष श्रृंगार सुबह चार बजे से पूजन अभिषेक से शुरू होता है. इसमें भगवान को दोपहर 12 बजे भोग अर्पण करने के बाद रात्रि 7 बजकर 30 मिनट पर महाआरती और रात्रि 10 बजे से 3 बजे तक महाभिषेक पूजन होता है. महाशिवरात्रि पर पूरे दिन भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में उपस्थित रहते हैं.
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