Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश में अब तक 200 गौशालाएं बंद हो चुकी हैं. बीते एक साल में गौ-संवर्धन बोर्ड ने ही 3 गौशालाओं का संचालन बंद कर दिया है. इनमें एक भोपाल और दो देवास जिले की गौशालाएं शामिल हैं. इसके पीछे उम्मीद के मुताबिक सरकार और आमजन का सहयोग नहीं मिल पाना बताया जा रहा है. गौशालाओं के लिए आवंटित बजट मिलने में होने वाली देरी भी एक कारण है.


जरूरत के मुताबिक नहीं मिल रहा बजट
इधर ऐसे हालातों में वन विभाग ने भी गौशालाओं के निर्माण से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. विभाग ने 50 गौशालाओं के निर्माण के टारगेट में से 25 को सरेंडर कर दिया है. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में अभी 627 प्राइवेट और मुख्यमंत्री गौसेवा योजना से बनी 951 गौशालाओं में करीब 2 लाख 55 हजार से अधिक गाय हैं. इनके साल भर खाने के लिए ही करीब 184 करोड़ की आवश्यकता है, लेकिन जरूरत के मुताबिक बजट नहीं मिल पाने से गौशालाएं बंद हो रही हैं.


नहीं बन पाईं आत्मनिर्भर
गौशालाओं के व्यवस्थित संचालन के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की बात सामने आई थी. इसके लिए गौशालाओं में गोबर से गौकाष्ठ बनाने की मशीन लगाए जाना जैसे प्रयोग किए जाने थे. इसके बाद पशुपालन विभाग ने प्रदेश में संचालित 627 प्राइवेट गौशालाओं में से 25 के हाईटेक होने का दावा भी किया था. यहां मशीने भी लगाई गई थीं लेकिन बताया जा रहा है कि बिजली नहीं होने से एक महीने बाद ही कई मशीनें वापस चली गईं.


इनका क्या कहना है
मप्र पशु संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष और गोपालन कार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने कहा, उपाध्यक्ष, गौशालाओं के संचालन के लिए पूरी तरह सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए. सामाजिक संस्थाओं को आगे आने की जरूरत है. यदि प्रति व्यक्ति की ओर से जनभागीदारी हो जाए तो गौशालाओं का संचालन सुगम हो जाएगा.


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